Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2022 · 1 min read

My Expressions

Life is full of interwoven phases of happiness and sorrows , and each phase has it’s own effect on the other, the differential span of these phases depend on the subject’s destiny , the path of which is definite and can never be altered .

Language: English
Tag: Quotation
251 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
माना दौलत है बलवान मगर, कीमत समय से ज्यादा नहीं होती
माना दौलत है बलवान मगर, कीमत समय से ज्यादा नहीं होती
पूर्वार्थ
उम्र  बस यूँ ही गुज़र रही है
उम्र बस यूँ ही गुज़र रही है
Atul "Krishn"
नई सोच नया विचार
नई सोच नया विचार
कृष्णकांत गुर्जर
मैं चाँद पर गया
मैं चाँद पर गया
Satish Srijan
सबूत- ए- इश्क़
सबूत- ए- इश्क़
राहुल रायकवार जज़्बाती
"मयकश"
Dr. Kishan tandon kranti
बाहर के शोर में
बाहर के शोर में
Chitra Bisht
पूरा पूरा हिसाब है जनाब
पूरा पूरा हिसाब है जनाब
shabina. Naaz
अफसाना किसी का
अफसाना किसी का
surenderpal vaidya
मित्रता चित्र देखकर नहीं
मित्रता चित्र देखकर नहीं
Sonam Puneet Dubey
मातृशक्ति
मातृशक्ति
Sanjay ' शून्य'
चुनिंदा अश'आर
चुनिंदा अश'आर
Dr fauzia Naseem shad
*परवरिश की उड़ान* ( 25 of 25 )
*परवरिश की उड़ान* ( 25 of 25 )
Kshma Urmila
..
..
*प्रणय*
एक पिता की पीर को, दे दो कुछ भी नाम।
एक पिता की पीर को, दे दो कुछ भी नाम।
Suryakant Dwivedi
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
प्रेमदास वसु सुरेखा
.........
.........
शेखर सिंह
मेरे सब्र की इंतहां न ले !
मेरे सब्र की इंतहां न ले !
ओसमणी साहू 'ओश'
ना देखा कोई मुहूर्त,
ना देखा कोई मुहूर्त,
आचार्य वृन्दान्त
गाडगे पुण्यतिथि
गाडगे पुण्यतिथि
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
3870.💐 *पूर्णिका* 💐
3870.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आख़िर तुमने रुला ही दिया!
आख़िर तुमने रुला ही दिया!
Ajit Kumar "Karn"
सुन्दर सलोनी
सुन्दर सलोनी
जय लगन कुमार हैप्पी
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
Ranjeet kumar patre
न जाने क्यों ... ... ???
न जाने क्यों ... ... ???
Kanchan Khanna
ये पैसा भी गजब है,
ये पैसा भी गजब है,
Umender kumar
"" *माँ सरस्वती* ""
सुनीलानंद महंत
जाने जिंदगी में ऐसा क्यों होता है ,
जाने जिंदगी में ऐसा क्यों होता है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*जितनी चादर है उतने ही, यदि पॉंव पसारो अच्छा है (राधेश्यामी
*जितनी चादर है उतने ही, यदि पॉंव पसारो अच्छा है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
Loading...