* कैसे अपना प्रेम बुहारें *
बच्चे पैदा करना बड़ी बात नही है
जल है, तो कल है - पेड़ लगाओ - प्रदूषण भगाओ ।।
पहुँचाया है चाँद पर, सफ़ल हो गया यान
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
कसम खाकर मैं कहता हूँ कि उस दिन मर ही जाता हूँ
सनातन
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
24/233. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
*पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं (गीत)*
" रे, पंछी पिंजड़ा में पछताए "
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
दिल को सिर्फ तेरी याद ही , क्यों आती है हरदम
Needs keep people together.