Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Dec 2024 · 1 min read

Is it actually necessary to poke fingers in my eyes,

Is it actually necessary to poke fingers in my eyes,
To show intellectual truths which are actually lies.
A deserved asking her deserving,
Is given the tag of cunning.
“Selfishness has wrapped this fellow in its bound”,
This is what people say who are so called profound.
You know what these shi**y people don’t have this fuc**ng sense,
Favoritism and looting undeserving fames is at its immense.
I hate being kicked off from every possible field,
Where I might have that charm to yield,
Outputs desirable in that aspect ,
Oh!!I’m just fed up of being ignored and virtually slapped in every possible prospect..

1 Like · 26 Views

You may also like these posts

*करते हैं पर्यावरण, कछुए हर क्षण साफ (कुंडलिया)*
*करते हैं पर्यावरण, कछुए हर क्षण साफ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
!! प्रार्थना !!
!! प्रार्थना !!
Chunnu Lal Gupta
सीरत अच्छी या सूरत
सीरत अच्छी या सूरत
MEENU SHARMA
*याद तुम्हारी*
*याद तुम्हारी*
Poonam Matia
*गरीबी में न्याय व्यवस्था (जेल से)*
*गरीबी में न्याय व्यवस्था (जेल से)*
Dushyant Kumar
मौहब्बत में किसी के गुलाब का इंतजार मत करना।
मौहब्बत में किसी के गुलाब का इंतजार मत करना।
Phool gufran
आपको याद भी
आपको याद भी
Dr fauzia Naseem shad
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Dr Archana Gupta
sp102 परम पिता ने स्वयं
sp102 परम पिता ने स्वयं
Manoj Shrivastava
रेत और रेगिस्तान के अर्थ होते हैं।
रेत और रेगिस्तान के अर्थ होते हैं।
Neeraj Agarwal
शिक्षा
शिक्षा
Adha Deshwal
निर्मल भक्ति
निर्मल भक्ति
Dr. Upasana Pandey
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
अंसार एटवी
उदास राहें
उदास राहें
शशि कांत श्रीवास्तव
आँसू
आँसू
Shashi Mahajan
दीवाली
दीवाली
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
केवट राम प्रसंग
केवट राम प्रसंग
Dr. P.C. Bisen
मुसाफिर
मुसाफिर
Rambali Mishra
पीर
पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
"याद के जख्म"
Dr. Kishan tandon kranti
#शीर्षक-प्यार का शक्ल
#शीर्षक-प्यार का शक्ल
Pratibha Pandey
23/10.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/10.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मेरी तू  रूह  में  बसती  है
मेरी तू रूह में बसती है
डॉ. दीपक मेवाती
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
Mahendra Narayan
ସେହି ଲୋକମାନେ
ସେହି ଲୋକମାନେ
Otteri Selvakumar
मौत तो एक दिन आनी ही है।
मौत तो एक दिन आनी ही है।
Rj Anand Prajapati
चुनाव
चुनाव
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
खाली पैमाना
खाली पैमाना
ओनिका सेतिया 'अनु '
तुझे खुश देखना चाहता था
तुझे खुश देखना चाहता था
Kumar lalit
Loading...