बाल कविता शेर को मिलते बब्बर शेर
*धन्य-धन्य वे लोग हृदय में, जिनके सेवा-भाव है (गीत)*
सच तो लकड़ी का महत्व होता हैं।
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मान हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"कहने को हैरत-अंगेज के अलावा कुछ नहीं है ll
वो नींदों में आकर मेरे ख्वाब सजाते क्यों हैं।
तेरी यादों के सहारे वक़्त गुजर जाता है
जिनके बिन घर सूना सूना दिखता है।
दर्द कितने रहे हों, दर्द कितने सहे हों।
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
यें जो तेरे-मेरे दरम्यां खाई है
तुम्हारी फ़िक्र सच्ची हो...
ज़िंदगानी सजाते चलो
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर