II मुख खोलें तो बोलिए II
मुख खोलें तो बोलिए , कुछ तो मीठे बोल l
अपने ही सब हो गए ,कौन पराया बोल lI
कौन पराया बोल ,शब्द की महिमा ऐसी l
ज्यों भटके को राह, पथिक को मंजिल जैसी lI
यही गीता कुरान ,और रामायण बोले l
सोचे शत शत बार ,तभी अपना मुख खोलें ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l