II अब तो आजा II
नवगीत
डूबा डूबा ए मन ,
प्यासे प्यासे नयन,
थक गए हैं कदम,
अब तो आजा lI
ना कर इतने सितम
जी सकेंगे न हम ,
टूटे टूटे सपना,
अब तो आजा lI
सपनों के गांव में,
प्यार की छांव में ,
इस दुनिया से दूर ,
अब तो आजा lI
ओढ़े धानी चुनर,
प्यार की ले गागर,
दिल की सूनी डगर ,
अब तो आजा ll
यह हंसी वादियां ,
तेज हैं आंधियां,
बुझ ना जाए दिए ,
अब तो आजा ll
सावन की छटा ,
घिरी काली घटा,
आधा जीवन चला,
अब तो आजा ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l