II जीवन की आपाधापी में…..II
जीवन की आपाधापी में ,
ज्ञान दबा सब कापी मे l
किसे चाहिए ज्ञान यहां पर,
सब पैसो की मापी मे ll
जीवन की आपाधापी में ….
आज के बच्चे होनहार हैं,
हमसे पिज्जा बर्गर मांगे l
अपना बचपन बीता था ,
दस पैसे की टॉफी में ll
जीवन की आपाधापी में ….
एसी में रहकर क्या जानो,
मजा पूस की सर्दी का l
कंबल ओढ़ अलाव तापना,
रातें ठिठुरन भरी रजाई मे ll
जीवन की आपाधापी में ….
बीता समय बताए हमको,
अक्सर ही समझाए हमको l
अब तो जीवन बिक जाता है,
खाली यहां पढ़ाई में ll
जीवन की आपाधापी में ….
भाग-दौड़ का आया जमाना,
हाय हलो मोबाइल पर l
क्या पता रात भर जागे कैसे,
भरें प्रेमरस पाती में ll
जीवन की आपाधापी में ….
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l