Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2024 · 1 min read

I want to tell them, they exist!!

I don’t want
To be stressed about being presentable
I want
To show the glory of who I am

I don’t want
To be the burden of bozo
I want
A piece of land to stand up

I don’t want
His money or cars
I want to
Use my education and capabilities

I don’t want
To be a goddess and worshiped
I want to
Be myself and be treated fairly

I don’t want
To travel on their shoulders
I want to
strengthen my own wings

I don’t want
Anyone to Judge me with prejudices
I want to
Seek and define Justice myself.

©️ Rachana ‘Mohini’

1 Like · 1 Comment · 89 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rachana
View all
You may also like:
रुसल कनिया
रुसल कनिया
Bindesh kumar jha
हर एक सांस सिर्फ़ तेरी यादें ताज़ा करती है,
हर एक सांस सिर्फ़ तेरी यादें ताज़ा करती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अफ़सोस
अफ़सोस
Dipak Kumar "Girja"
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
सोलह आने सच...
सोलह आने सच...
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
***आकाश नीला है***
***आकाश नीला है***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक
एक
हिमांशु Kulshrestha
1) आखिर क्यों ?
1) आखिर क्यों ?
पूनम झा 'प्रथमा'
I've lost myself
I've lost myself
VINOD CHAUHAN
कुदरत का करिश्मा है दरख्तों से खुशबू का महकना है ,,
कुदरत का करिश्मा है दरख्तों से खुशबू का महकना है ,,
Neelofar Khan
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
Mahender Singh
4275.💐 *पूर्णिका* 💐
4275.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हिंदी काव्य के प्रमुख छंद
हिंदी काव्य के प्रमुख छंद
मधुसूदन गौतम
तुम्हारी दुआ।
तुम्हारी दुआ।
सत्य कुमार प्रेमी
खुद को पागल मान रहा हु
खुद को पागल मान रहा हु
भरत कुमार सोलंकी
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
Phool gufran
गृहस्थ संत श्री राम निवास अग्रवाल( आढ़ती )
गृहस्थ संत श्री राम निवास अग्रवाल( आढ़ती )
Ravi Prakash
कठवा
कठवा
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
नेताम आर सी
निबंध
निबंध
Dhirendra Singh
देखो ना आया तेरा लाल
देखो ना आया तेरा लाल
Basant Bhagawan Roy
मुक्तक –  अंत ही आरंभ है
मुक्तक – अंत ही आरंभ है
Sonam Puneet Dubey
बस इतना सा दे अलहदाई का नज़राना,
बस इतना सा दे अलहदाई का नज़राना,
ओसमणी साहू 'ओश'
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चल पनघट की ओर सखी।
चल पनघट की ओर सखी।
Anil Mishra Prahari
ख्याल
ख्याल
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है उसको दूसरा कोई कि
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है उसको दूसरा कोई कि
Rj Anand Prajapati
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
Loading...