माना इंसान अज्ञानता में ग़लती करता है,
तमन्ना पाल रखी थी सबको खुश रखने की
प्यासा के कुंडलियां (दारू -मदिरा) विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
आसानी से कोई चीज मिल जाएं
राम वन गमन हो गया
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मतळबी मिनखं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
संपूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों के द्वारा किये जाते हैं तथापि
27-28 साल की बिन ब्याही लड़कियाँ और बेरोज़गार लड़के, धरती पर
ट्रैफिक भी जाम मेरा दिल भी तेरे नाम।
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-176 के श्रेष्ठ दोहे पढ़िएगा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'