गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
“कभी मन करे तो कुछ लिख देना चाहिए
वृक्ष होते पक्षियों के घर
दिल कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
మువ్వగోపాల మురళీధరాయ..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
नज़्म _मिट्टी और मार्बल का फर्क ।
भारत का सामार्थ्य जब भी हारा
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,