हेर फेर
कल जिस दल के थे तुम सदस्य ,
आज उसी के शत्रु बने हुए हो ।
कल तक तो करते थे उनका बड़ा गुणगान ,
आज उनके लिए जहर उगल रहे हो ।
हमने तो सुना था की दुश्मनी ऐसी रखो की ,
दोस्ती की कुछ गुंजाइश रहे ।
परंतु तुम्हें क्या कहें नेता साहिबान !
तुम तो चिकने घड़े हो ।
दोस्ती दुश्मनी में हेर फेर करना तुम्हारे ,
बाएं हाथ का खेल है।