मर्यादा
नहीं अब कोई मर्यादा, कहीं कम और ज्यादा,
काम वही बिचौलिये , रहते आधे पर आमदा.
रहते आधे पर आमदा, हक का भी नहीं देते,
कागद कर पूरे रखते, अधिकारी को वे ठगते,
नगर निगम भी अवैध ,को हमेश सजदा करते
फंस गई आम जनता,लीचड़ वे कुछ नहीं करते.
नहीं अब कोई मर्यादा, कहीं कम और ज्यादा,
काम वही बिचौलिये , रहते आधे पर आमदा.
रहते आधे पर आमदा, हक का भी नहीं देते,
कागद कर पूरे रखते, अधिकारी को वे ठगते,
नगर निगम भी अवैध ,को हमेश सजदा करते
फंस गई आम जनता,लीचड़ वे कुछ नहीं करते.