Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Nov 2017 · 3 min read

किरन

सुनो!
क्या कर रही हो?
इधर आओ खाना देने पिता जी को जाना हैं।अंदर से चीरती हुई आवाज आ रही थी ।
माँ आ रही हू!
बाहर खेलते हुए किरन ने आवाज अपनी माँ को दी।
किरन बारह साल की बच्ची हैं जो कि अपने घर में तीन भाई बहनों में सबसे छोटी थी।लेकिन घर के हालात ठीक नही थे।
किरन के पिता किसान थे और माँ गृहणी थी जो घर के काम काज में व्यस्त रहते थी।
घर के काम काज में माँ किरन को लगाये रहती थी।और किरन के दोनों भाई पिता के साथ खेती में हाथ बटाते रहते थे।
किरन और उसके भाई पास के ही एक प्राथमिक शाला में पढ़ते थे।दोनो भाई पाठशाला जाते थे,लेकिन किरन की माँ किरन को अक्सर रोक लेती थी।ये समाज की मानसिकता जिसमे लड़कियों को स्कूल जाने से रोकता रहता हैं, हमेसा मन में भय का भाव रहता हैं।वह अपने माँ से हमेशा जिद्द करती रहती स्कूल जाने के लिए।भाई जब स्कूल से आते तो वह उनकी किताबो को सुनती और उन्हें सुनती मन में हमेशा सीखने और पढ़ने की ललक रहती।किरन के भाई एक दिन किरन को स्कूल ले जाते हैं, वो कक्षा में बैठे हुए थे।पास में किरन भी बैठी हुई थी।स्कूल के एक अध्यापक जब कक्षा में आते हैं तो जब वह किरन को देखते हैं तो पूछते है किसके साथ हैं ये!सर मेरे साथ ऐसा कह कर किरन का भाई ने उन्हें बताया!स्कूल के अध्यापक किरन के भाई को अपने पिता जी को स्कूल आने के लिए कहते हैं!घर पर सब किस्सा अपने पिता को किरन का भाई बताता हैं!किरन का पिता जिसका नाम हरिया था,वह किरन का भाई जिसका नाम हरीश था!उसे खूब डाँटता हैं!अगले दिन स्कूल जाता हैं।
स्कूल पहुच कर वह अध्यापक से बात करता हैं!अध्यापक किरन का नाम स्कूल में लिखवाने के लिए कहता हैं, कि किरन बहुत ही होनहार लड़की हैं उसका नाम लिखवा दे,जिससे वह पढ़ लिख कर एक अच्छी नागरिक बन सके और अपने घर परिवार का नाम रोशन कर सके!हरिया अध्यापक को कहता हैं की किरन पढ़ लिखकर क्या करेगी,आखिर में उसकी शादी हो जानी हैं, वह पढ़ लिखकर क्या करेगी?
ऐसा कहकर वह किरन को ले जाने लगता हैं।
अध्यापक हरिया को खूब समझाता हैं, और उसे पढ़ने के लिए कहता हैं!अंत में हरिया किरन का दाखिला करवा देता हैं स्कूल में और वह भी अपने भाइयो के साथ स्कूल आने लगती हैं।
किरन अब प्रतिदिन स्कूल आने लगती हैं, लेकिन कभी कभी उसके घर के उसको रोक लेते।इस वजह से उसे बहुत परेशानी होती और वह बाकी बच्चों से पीछे हो जाती।।किरन एक हाशियार लड़की होती हैं, उसके कक्षा की बाकी लडकिया उसे परेसान करने लगी थी।
किरन स्वाभाव से शर्मीली होने के कारन न अपने घर पर ना ही अधयापक से कुछ कह पा रही थी
अपने भाइयो से भी कुछ ना कहा।लेकिन धीरे धीरे सब सामान्य हो गया वह पढ़ती रही।जब थोड़ी बड़ी हुई और वह गांव में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद गाँव से बाहर जाना था,उसके पिता ने उसकी शादी कंही करने की कोशिश प्रारम्भ कर दी।वही किरन ने विद्रोह कर दिया कि उसे आगे पढ़ना हैं, अव किरन के भाई उसका समर्थन में थे,और वो भी आगे पढ़ने के लिए उसे बाहर ले जाना चाहते थे!समाज के लोग और गाँव के लोग इसके विरोध में हो गए !सब अपने अपने तरीके से बाते बना रहे रहे थे!वह सोच रहे थे कि कंही अकेले लड़की कैसे बहार रहेगी!लेकिन किरन ने हिम्मत नही हारी ना ही उसके भाइयो ने !अंत में उसके भाइयो ने अपनी माँ को भी अपने समर्थन में ले लिया!अब माँ भी किरन को पढ़ने के लिए भेजना चाहती थी!लेकिन परेशानी इस बात की थी हरिया जो की किरन के पिता एक किसान थे!गरीब थे!पैसे कंहा से आते!वही समस्या लेकिन मरता क्या ना करता!
किरन अपनी जिद्द में थी!अंत में किरन का दाखिला शहर में करवा देते है!किरन अपने पढाई में मग्न थी और वह ध्यान,लग्न से पढाई करते हुए एक कलेक्टर बन जाती हैं और वह अपने भाई माँ पिता का नाम रोशन करती हैं।
और समाज की आँखे खोलती हैं कि लड़कियों पर भरोसा किया जाए लड़कियां कभी गलत नही होती नही होती हैं! वो चूल्हा चौका के लिए पैदा नही हुई हैं!उन्हें बराबर मौका दिया जाए तो वो समाज परिवार देश सबका नाम रोशन करती हैं।

~आकिब जावेद

Language: Hindi
396 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Akib Javed
View all
You may also like:
शुभ रक्षाबंधन
शुभ रक्षाबंधन
डॉ.सीमा अग्रवाल
पड़ोसन की ‘मी टू’ (व्यंग्य कहानी)
पड़ोसन की ‘मी टू’ (व्यंग्य कहानी)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कोशिश न करना
कोशिश न करना
surenderpal vaidya
रखना जीवन में सदा, सुंदर दृष्टा-भाव (कुंडलिया)
रखना जीवन में सदा, सुंदर दृष्टा-भाव (कुंडलिया)
Ravi Prakash
आदि ब्रह्म है राम
आदि ब्रह्म है राम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कितना भी  कर लो जतन
कितना भी कर लो जतन
Paras Nath Jha
नारी
नारी
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*
*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
डमरू वीणा बांसुरी, करतल घन्टी शंख
डमरू वीणा बांसुरी, करतल घन्टी शंख
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ
प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
नियम
नियम
Ajay Mishra
बेटियां बोझ नहीं होती
बेटियां बोझ नहीं होती
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
10-भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ
10-भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ
Ajay Kumar Vimal
राज़ की बात
राज़ की बात
Shaily
🙅नई परिभाषा🙅
🙅नई परिभाषा🙅
*Author प्रणय प्रभात*
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
gurudeenverma198
💐प्रेम कौतुक-454💐
💐प्रेम कौतुक-454💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Rap song 【4】 - पटना तुम घुमाया
Rap song 【4】 - पटना तुम घुमाया
Nishant prakhar
कहीं पे पहुँचने के लिए,
कहीं पे पहुँचने के लिए,
शेखर सिंह
"नहीं मिलता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझ को अब स्वीकार नहीं
मुझ को अब स्वीकार नहीं
Surinder blackpen
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
बाढ़
बाढ़
Dr.Pratibha Prakash
जो सुनना चाहता है
जो सुनना चाहता है
Yogendra Chaturwedi
वो अनुराग अनमोल एहसास
वो अनुराग अनमोल एहसास
Seema gupta,Alwar
मोदी एक महानायक
मोदी एक महानायक
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
श्रीराम किसको चाहिए..?
श्रीराम किसको चाहिए..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
व्यापार नहीं निवेश करें
व्यापार नहीं निवेश करें
Sanjay ' शून्य'
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...