आओ शाम की चाय तैयार हो रहीं हैं।
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
तमस अमावस का घिरा, रूठा उजला पाख।
ढोलकों की थाप पर फगुहा सुनाई दे रहे।
तुम ही रहते सदा ख्यालों में
अर्थव्यवस्था और देश की हालात
हमे निज राह पे नित भोर ही चलना होगा।
Anamika Tiwari 'annpurna '
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो।
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
अपने देश की अलग एक पहचान है,
मौहब्बत में किसी के गुलाब का इंतजार मत करना।