जो व्यक्ति रथयात्रा में रथ पर विराजमान श्री कृष्ण, बलराम और
“त्याग वही है, जो कर के भी दिखाया न जाए, यदि हम किसी के लिए
छत्रपति वीर शिवाजी जय हो 【गीत】
यूं गुम हो गई वो मेरे सामने रहकर भी,
कुछ भी नहीं हमको फायदा, तुमको अगर हम पा भी ले
तुमको एहसास क्यों नहीं होता ,
सिमराँवगढ़ को तुम जाती हो,
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
मरने के बाद भी ठगे जाते हैं साफ दामन वाले
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
किया आहाँ गीत गाबैत छी ? जतय कमेंट करबा क अछि !
दो अक्टूबर - दो देश के लाल