आंखों में खो गए, हर पल सा मिला,
मेरा शहर कहीं ग़ुम हो गया है
दिसम्बर माह और यह कविता...😊
लोगों की मजबूरी नहीं समझ सकते
*बेचारे लेखक का सम्मान (हास्य व्यंग्य)*
धर्म के परदे के पीछे, छुप रहे हैं राजदाँ।
खेल सारा सोच का है, हार हो या जीत हो।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
लड़कियां शिक्षा के मामले में लडको से आगे निकल रही है क्योंकि
अपने दिल में चोर लिए बैठे हैं
बौराया मन वाह में ,तनी हुई है देह ।
सदद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
Anamika Tiwari 'annpurna '
हम शरीर हैं, ब्रह्म अंदर है और माया बाहर। मन शरीर को संचालित
जय जय भोलेनाथ की, जय जय शम्भूनाथ की