भारत में किसानों की स्थिति
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
तरंगिणी की दास्ताँ
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मुद्दतों बाद मिलते पैर लड़खड़ाए थे,
*चलता रहेगा विश्व यह, हम नहीं होंगे मगर (वैराग्य गीत)*
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हम पे एहसान ज़िंदगी न जता,
Started day with the voice of nature
लड़की कभी एक लड़के से सच्चा प्यार नही कर सकती अल्फाज नही ये
क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये
बाहर का मंज़र है कितना हसीन
घृणा प्रेम की अनुपस्थिति है बस जागरूकता के साथ रूपांतरण करना
I remember you in my wildest dreams
पत्रिका प्रभु श्री राम की