दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए,
खेत खलिहनवा पसिनवा चुवाइ के सगिरिउ सिन्वर् लाहराइ ला हो भैया
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
चांद भी आज ख़ूब इतराया होगा यूं ख़ुद पर,
*सर्राफे में चॉंदी के व्यवसाय का बदलता स्वरूप*
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
किसने कहा, आसान था हमारे 'हम' से 'तेरा' और 'मेरा' हो जाना
अर्थ में प्रेम है, काम में प्रेम है,
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
समीक्षा- रास्ता बनकर रहा (ग़ज़ल संग्रह)
मौन अधर होंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
All of a sudden, everything feels unfair. You pour yourself