खींच तान के बात को लम्बा करना है ।
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
कर्बला हो गयी तय्यार खुदा खैर करे
अंदाजा था तुम्हें हमारी हद का
नेताओं ने छेड़ दिया है,बही पुराना राग
दुनिया की यही यही हकीकत है जिसके लिए आप हर वक्त मौजूद रहते ह
बूढ़ा हो बच्चा हो या , कोई कहीं जवान ।
जाने कितने चढ़ गए, फाँसी माँ के लाल ।
उपासक लक्ष्मी पंचमी के दिन माता का उपवास कर उनका प्रिय पुष्प
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है
राम कृष्ण हरि
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर