Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Aug 2023 · 1 min read

#Dr Arun Kumar shastri

#Dr Arun Kumar shastri
जो व्यक्ति सब ओर से विमुख होकर अपने में ही अपने को पा लेता है, उसे कुछ भी करना शेष नहीं रह जाता है

292 Views
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

नजरे मिली धड़कता दिल
नजरे मिली धड़कता दिल
Khaimsingh Saini
#संस्मरण
#संस्मरण
*प्रणय*
आरज़ू है
आरज़ू है
Dr fauzia Naseem shad
*याद है  हमको हमारा  जमाना*
*याद है हमको हमारा जमाना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हे गुरुवर !
हे गुरुवर !
Ghanshyam Poddar
4521.*पूर्णिका*
4521.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
जिल्लत और जुल्मों का जब दाब बढ़ जायेगा।
जिल्लत और जुल्मों का जब दाब बढ़ जायेगा।
Rj Anand Prajapati
*शिव जी को पूज रहे हैं जन, शिव महायोग के हैं ज्ञाता (राधेश्य
*शिव जी को पूज रहे हैं जन, शिव महायोग के हैं ज्ञाता (राधेश्य
Ravi Prakash
"तू-तू मैं-मैं"
Dr. Kishan tandon kranti
आसमान ही खो गया,
आसमान ही खो गया,
sushil sarna
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अगर सपने आपके है तो चुनौतियां भी आप की होंगी  और कीमत भी आपक
अगर सपने आपके है तो चुनौतियां भी आप की होंगी और कीमत भी आपक
Sanjay ' शून्य'
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
Ranjeet kumar patre
जनहरण घनाक्षरी
जनहरण घनाक्षरी
Rambali Mishra
मां महागौरी
मां महागौरी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ना चाहते हुए भी
ना चाहते हुए भी
हिमांशु Kulshrestha
प्रेम मोहब्बत इश्क के नाते जग में देखा है बहुतेरे,
प्रेम मोहब्बत इश्क के नाते जग में देखा है बहुतेरे,
Anamika Tiwari 'annpurna '
थोड़ी है
थोड़ी है
Dr MusafiR BaithA
पृष्ठों पर बांँध से
पृष्ठों पर बांँध से
Neelam Sharma
नशीली आंखें
नशीली आंखें
Shekhar Chandra Mitra
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Mukesh Kumar Sonkar
इश्क़ में कैसी हार जीत
इश्क़ में कैसी हार जीत
स्वतंत्र ललिता मन्नू
रास्ते खुलते हैं
रास्ते खुलते हैं
Harinarayan Tanha
खुद ही परेशान हूँ मैं, अपने हाल-ऐ-मज़बूरी से
खुद ही परेशान हूँ मैं, अपने हाल-ऐ-मज़बूरी से
डी. के. निवातिया
शब्द सुनता हूं मगर मन को कोई भाता नहीं है।
शब्द सुनता हूं मगर मन को कोई भाता नहीं है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
एक छोटा-सा घर है फटे-पुराने कपड़े है,सुबह-शाम रोटी नसीब हो ज
एक छोटा-सा घर है फटे-पुराने कपड़े है,सुबह-शाम रोटी नसीब हो ज
पूर्वार्थ
अच्छाई
अच्छाई
Ritu Asooja
कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं
कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं
Manisha Manjari
Blabbering a few words like
Blabbering a few words like " live as you want", "pursue you
Chaahat
Loading...