शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ग़ज़ल : कई क़िस्से अधूरे रह गए अपनी कहानी में
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
लड़कियों को विजेता इसलिए घोषित कर देना क्योंकि वह बहुत खूबसू
*करते हैं पर्यावरण, कछुए हर क्षण साफ (कुंडलिया)*
ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
तुम आओगे इक दिन इसी उम्मीद में हम दर को देखते हैं,
क्युं बताने से हर्ज़ करते हो
प्यार और परवाह करने वाली बीबी मिल जाती है तब जिंदगी स्वर्ग स
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
तन्हा रातों में इक आशियाना ढूंढती है ज़िंदगी,
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
तेवरीः एक संकल्प-चेतना की अभिव्यक्ति + शिवकुमार थदानी