अब तुझपे किसने किया है सितम
बुगुन लियोसिचला Bugun leosichla
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*जिंदगी में साथ जब तक, प्रिय तुम्हारा मिल रहा (हिंदी गजल)*
वर्तमान के युवा शिक्षा में उतनी रुचि नहीं ले रहे जितनी वो री
समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, कुछ समय शोध में और कुछ समय
रिश्ते कैजुअल इसलिए हो गए है
24/246. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
"सादगी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
जंग लगी थी सदियों से शमशीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ये बादल क्युं भटक रहे हैं
इक उम्र जो मैंने बड़ी सादगी भरी गुजारी है,