Dil ki uljhan
दिल की उलझन से बाहर निकलू तो कैसे,
तु ही बता क्योंकि,
बात जब निगाहों की हो तो आँखें तेरी दिखाई देती है,
बात जब दिल की हो तो सीरत तेरी दिखाई देती है,
और बात जब हुस्न की हो तो सूरत तेरी दिखाई देती है।।
दिल की उलझन से बाहर निकलू तो कैसे,
तु ही बता क्योंकि,
बात जब निगाहों की हो तो आँखें तेरी दिखाई देती है,
बात जब दिल की हो तो सीरत तेरी दिखाई देती है,
और बात जब हुस्न की हो तो सूरत तेरी दिखाई देती है।।