मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
चलते चलते थक गया, मन का एक फकीर।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
ग़ज़ल __ "है हकीकत देखने में , वो बहुत नादान है,"
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
सामाजिक कविता: पाना क्या?
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
भारत सनातन का देश है।
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बना दिया हमको ऐसा, जिंदगी की राहों ने
इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
शांति दूत हमेशा हर जगह होते हैं
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विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी