दोस्त बताती थी| वो अब block कर गई है|
कौवों को भी वही खिला सकते हैं जिन्होंने जीवित माता-पिता की स
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
*लोग सारी जिंदगी, बीमारियॉं ढोते रहे (हिंदी गजल)*
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
कभी पलट कर जो देख लेती हो,
खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
लोग जो पीते हैं शराब, जाकर मयखानें