लाख तूफ़ान आए, हिम्मत हारना मत ।
गुम हो जाते हैं साथ चलने वाले, क़दम भी कुछ ऐसे।
नन्हें परिंदे भी जान लेते हैं,
आत्महत्या करके मरने से अच्छा है कुछ प्राप्त करके मरो यदि कुछ
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
** सीने पर गहरे घाव हैँ **
जीवन भर मरते रहे, जो बस्ती के नाम।
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
शिक़ायत है, एक नई ग़ज़ल, विनीत सिंह शायर
धनतेरस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
अपने दीपक आप बनो, अब करो उजाला।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)