---- विश्वगुरु ----
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
शीर्षक - 'शिक्षा : गुणात्मक सुधार और पुनर्मूल्यांकन की महत्ती आवश्यकता'
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
میں ہوں تخلیق اپنے ہی رب کی ۔۔۔۔۔۔۔۔۔
है प्रीत बिना जीवन का मोल कहाँ देखो,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
किसी का खौफ नहीं, मन में..
कर्म यदि अच्छे हैं तो डरना नहीं
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
कृष्ण मारे तो बचाए कौन? कृष्ण बचाए तो मारे कौन?
🌻 *गुरु चरणों की धूल* 🌻
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हर रात उजालों को ये फ़िक्र रहती है,
हमें अपने जीवन के हर गतिविधि को जानना होगा,
माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो
प्यार का उपहार तुमको मिल गया है।
हँसकर जीना दस्तूर है ज़िंदगी का;
दोहा छंद ! सावन बरसा झूम के ,