Versha Varshney "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Versha Varshney 13 Jan 2017 · 2 min read एक अजन्मी बेटी का दर्द जीना चाहती थी मैं भी कभी इन तरंगों की तरह, सुनना चाहती थी कभी मैं भी इन की मधुरता को: जो खिला देती हैं अपनी तरंगों से मन मयूर... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 1k Share