शाम्भवी मिश्रा "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid शाम्भवी मिश्रा 23 Jan 2017 · 2 min read बेटियाँ कभी मंदिर में उसको पूजा था,घर आई तो ठुकराया हैं। क्यों समाज के डर से उसको बलिवेदी पे चढ़ाया है। वरदान ईश का अंश तेरी ऋंगार है तेरे मधुवन की।... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · गीत · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 1k Share