डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read अंतर लोग कहते हैं तुम सुंदर हो क्योंकि उन्हें तुम्हारी रूप चौखट सुंदर लगती है मैं कहता हूं तुम अति सुंदर हो परंतु इसलिए नहीं कि तुम्हारा रूप सुंदर है वरन... Poetry Writing Challenge-3 1 66 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read चिरंतन सत्य आज गांव के सारे बच्चे चहकें चिड़िया छोड़ कर खलियान कुछ समय मेरे गांव में आ जाओ तुम बर्फ से ढके उत्तुंग शिखर छोड़ अकेले की शीतलता मेरे अंतस में... Poetry Writing Challenge-3 1 102 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read चंदा चंदा मुझे बताओ अब कहां गई तुम्हारी मदभरी चांदनी जिसके तले प्रेमी दिल अक्सर मिला करते थे संग रहने की हर पल दुआ करते थे वह शीतल चांदनी कारण थी... Poetry Writing Challenge-3 1 135 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read जीवन दर्शन हिमाचल की धवलधार के आंचल में बसा ‘चमोटू’ का जंगल एकांत को थिरकाती हिमाचली गानों की धुनों पर भारत के सुदूर क्षेत्रों से आए युवक–युवतियां और प्रतिदिन की दिनचर्या से... Poetry Writing Challenge-3 85 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read बसंत आज तुम्हारे आने से साकार हो गए फागुन के रंग वीरान और ऊसर आने से तुम्हारे हो गए उपवन की बाहार अमराइयां देने लगी आमंत्रण भंवरों के सुनाई दिए गुंजार... Poetry Writing Challenge-3 92 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read सावन आज सावन की पहली बारिश ने धरा को छुआ दूर कहीं सुप्त अंकुर फिर रोमांचित हुआ हुआ स्पंदित फूटे अंकुर धारा के विपरीत ऊर्ध्व मुखी गगन की ओर सुकुमार शैशव... Poetry Writing Challenge-3 76 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read फागुन तुम बार-बार आना अबीर गुलाल संग और टेसुओं के रंग छिड़क देना उढ़ेल देना अपने सारे रंग एक ही बार ताकि सभी रंगों का हो जाए एक रंग प्रेम का... Poetry Writing Challenge-3 96 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 2 min read मधुर गीत सागर संग मिलने से पहले कुछ ऐसा तुम कर जाओ कल कल करती बहती नदिया गीत माधुर तुम गा जाओ । जब से तुम शिखरों से उतरे पग पग ठोकर... Poetry Writing Challenge-3 97 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read तुम्हारा आना तुम साधिकार जब आते हो अनायास अंतस पटल पर खिल जाते हैं अनंत प्रसून स्मरण कराते सदियों की आत्मीयता का जब भी तुम करीब होते हो सृजित होते हैं अनंत... Poetry Writing Challenge-3 1 70 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read शून्य शून्य नहीं कुछ और शून्य ही संपूर्ण है शून्य से मैं भी हूं तुम भी हो शून्य में मिलकर ही हम पूर्णतया संपूर्ण हैं शून्य से ही यह धरती सारी... Poetry Writing Challenge-3 63 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read तुम तुम जीवन के ढाई आखर तुम जीवन की गाथा हो तुम बिन जीवन मरुभूमि तुम जीवन का सावन हो तुमसे मोर बना सतरंगी तुमसे कोयल गाती है तुमसे चकोर निहारे... Poetry Writing Challenge-3 48 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read जीवन पथ काजल की बन कोर प्रिये हम तुमसे मिलने आयेंगे जीवन पथ पर चलते-चलते दो मोड़ कहीं चल पाएं हम, कर्मशील इस पथ पर बढ़ते , ओझल गर हो जाएं हम... Poetry Writing Challenge-3 47 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read परीक्षा हम अक्सर परीक्षा से गुजरते हैं मां का एक अंग होने पर ही आरंभ हो जाती है परीक्षा आखिर है कौन....?? जाने ..... तो.... हर पल होती है परीक्षा धरा... Poetry Writing Challenge-3 58 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read होली प्रेम का गुलाल हो स्नेह का अबीर हो दोस्ती हो टेसू फूल सातरंगी भाल हो प्रेम सुधा का पान हो अंतस से निकला गान हो साथियों का खिलता चेहरा साथियों... Poetry Writing Challenge-3 38 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read एक आकार फितरत है पहचान तुम्हारी , फितरत जीवन का आधार । 'गर फितरत है नेक तुम्हारी , दीवाना है सारा संसार । अपना और पराया जग में , फितरत रिश्तों का... Poetry Writing Challenge-3 1 51 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 2 min read ठूंठा पेड वह जिसे तुम ठूंठ कहते हो शायद उचित कहते हो वह था एक सलोना पेड़ ऋतुराज में सौरस पूर्ण सम्पूर्णता में बौर से लदा वह विहग और वह मधुप फिर... Poetry Writing Challenge-3 38 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 2 min read स्नेह का नाता उस संग स्नेह का नाता जोड़ा जिसे स्नेह का भान नहीं मिलकर उसे भूल गए वैभव सारा मोहक प्रति छाया अपलक साकार हुए तुम मेरे जन्मों का खोया धन पाया... Poetry Writing Challenge-3 50 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 2 min read परीक्षा का भय मुझे याद आते हैं अपने बचपन के दिन जब परीक्षा देने घर से निकला करते थे मां किया करती थी बहुत से शगुन कभी दही पीने को कहती थी कभी... Poetry Writing Challenge-3 33 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read सिपाही मेरे देश के वीर सिपाही तुमको कोटि नमन करता हूं तुम हो तो है देश हमारा जगत में शीर्ष सभी से न्यारा प्रगति पथ पर बढ़ते जाते निर्धारित कर लक्ष्य... Poetry Writing Challenge-3 34 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read बचपन बचपन कहां चले जाते हो तुम याद बहुत आते हो तुम रह-रह कर मन भरमाते हो कहां चले जाते हो तुम तुम जाते हो जाती है मस्ती, बेफिक्री मेरी ले... Poetry Writing Challenge-3 63 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read अंबर अक्सर अपनी ऊंचाइयों पर इतराता रहता था पल पल धरा को कुछ कम ठहराता रहता था अक्सर कहा करता "तुम मेरी बराबरी नहीं कर सकती हो मैं असीम ऊंचाइयों पर... Poetry Writing Challenge-3 40 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 2 min read वह और तुम वह जगत भाग्य निर्माता परन्तु कितना निष्ठुर है उसका भाग्य विधाता वह.......वह है......... जिसकी सारा जीवन यूँ ही व्यतीत हो जाता है कभी इस प्रयत्न में कि किसी तरह उसका... Poetry Writing Challenge-3 35 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 4 May 2024 · 1 min read वरद् हस्त कांगड़ा के हवाई अड्डे से उस दिन हवा में हो गया मैं देखते ही देखते एक सुंदर सी दुनिया में खो गया मैं घर खेत खलियान,धरती पर बस्ती की सारी... Poetry Writing Challenge-3 48 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 3 May 2024 · 1 min read विचार जीवन को उत्तुंग शिखर पर तुम ही लेकर जाते हो मन मस्तिष्क पर हो आरूढ़ तुम इतिहास नया रच जाते हो दुर्योधन के मन उपजे महाविनाश के सृजक बने दशानन... Poetry Writing Challenge-3 52 Share डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद 3 May 2024 · 1 min read मन खग बादलों के संग संग कहां जाते हो मन खग सुदूर क्षितिज की नापने को दूरियां विलीन हो जाएंगे वन,जल,नीर मेघ तुम्हारा आधार क्या होगा फिर आवश्यक नहीं जो दिखता हो... Poetry Writing Challenge-3 30 Share