प्रदीप कुमार गुप्ता Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रदीप कुमार गुप्ता 28 May 2024 · 1 min read धूल धूल उडी उड़ बैठ गयी, कँहा बैठ गयी कुछ पता नही। जब उड़ती थी तब द्र्ष्य हुयी, जब बैठ गयी तब दिखी नहीं। कोई तेज हवा का झोंका था, जिसने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 97 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 28 May 2024 · 1 min read जिंदगी हंस के जियो यारों जिंदगी हंस के जियो यारों, कल ये किसने देखा है। गर गौर से देखो तो हर, हाँथ में किस्मत की रेखा है। जिंदगी हंस के जियो यारों, कल ये किसने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 71 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 28 May 2024 · 1 min read हिंदी दिवस वक़्त की देखो, क्या है माया। बचपन की बोली को, हमीं ने भुलाया। कहते हैं हम, उसे मातृभाषा, माँ सरीखी होती है। देखो आज यंहा "हिंदी" घुट घुट के रोती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 52 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 28 May 2024 · 1 min read रिश्ते रिश्ते होते हैं बड़े नाजुक जैसे हो कांच, ना आने दीजिये उन पर कभी भी आंच। बड़ा मुश्किल होता है जोड़ना तोड़ के, चला जाता है जब कोई अपना मुँह... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 1 113 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 28 May 2024 · 1 min read वो दिन कभी ना आएगा वो दिन कभी ना आएगा, जब सब अच्छा हो जायेगा। अपने जीवन की खुशियों को, तू कल में कभी ना पायेगा। वो दिन कभी ना आएगा, जब सब अच्छा हो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 63 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 28 May 2024 · 1 min read अध्यापक मिट्टी के ढेलों को जिसने, बर्तन में बदला हर बार। कितनी भी सख्त हो मिट्टी, पर मानी ना उसने हार। एक हाँथ में छड़ी थी जिसके, हाँथ में दूजी लिए... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 69 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 28 May 2024 · 1 min read नयी कविता किसी को देखकर सोंचा, लिखूं एक सुन्दर कविता आज। सजाऊँ अलंकारों से उसको, छेड़ूँ फिर कोई मधुर साज। वक़्त बीत गया किसी की, तारीफ में गीत गाने का। किसी को... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 80 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 28 May 2024 · 1 min read मृत्यु मृत्यु नहीं है अंत भला, ये तो आरम्भ निराला है। एक अध्याय जो खत्म हुआ, अब दूसरा खुलने वाला है। मृत्यु नहीं है अंत भला, ये तो आरम्भ निराला है।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 59 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 27 May 2024 · 1 min read जीवन ऐसे ही होता है कोई हँसता है कोई रोता है, जीवन ऐसे ही होता है। कोई रात में भी जगता रहता, कोई दिन में चैन से सोता है। जीवन ऐसे ही होता है। अपने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 57 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 27 May 2024 · 1 min read मानसून को हम तरसें आग चहुँदिश बरस रही, इस गर्मी से हम बेहाल। कब बरसेंगे बादल हमपर, मानसून का हम करें इन्तजार। टप-टप करके बहे पसीना, गीली पीठ है गीला सीना। इस गर्मी की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 48 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 27 May 2024 · 1 min read छत पर हम सोते एक रात जब हम सोते थे, छत पर अपनी आंखे मूंदे। पत्थर सी लगती थी सर पर, बारिश की वो गिरती बूंदें। बिस्तर लेकर सरपट भागे, घर में ढूंढें हम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 64 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 27 May 2024 · 1 min read पिता बैठा लेता था अपने कंधो पर, थक जाता जब चलते चलते। बांह पकड़ कर मुझे संभाला, ठोकर खाकर गिरते गिरते। बारिश में छतरी बन जाता, धूप में वो बन जाता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 86 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 26 May 2024 · 1 min read भीड़ में वो खो गए भीड़ में जाकर वो कंही खो गए, जाने कैसे सुकून से वो सो गए। हम तो जागते रहे उम्मीद में उनकी, और वो ना जाने किसके हो गए। भीड़ में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 41 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 26 May 2024 · 1 min read अभी तो आये थे तुम अभी तो आये थे तुम बहार लेकर, क्यों इस तरह से वापस चल दिये। शमा तो रोशन हुयी थी अभी, जलाये थे तुमने जो उम्मीदों के दिये। अभी तो आये... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 69 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 26 May 2024 · 1 min read ग्रहों की चाल क्यों फंसते हो ग्रहों की चाल में, तेरा भविष्य तो तेरे कर्मो की छाया है। कितनी भी तू कर ले पूजा पाठ, किस्मत से ज्यादा क्या किसी ने पाया है।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 56 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 26 May 2024 · 1 min read दूरियां कभी मशरूफ थे हम, दोस्तों के बीच में अपने। अब आलम ऐसा है, ना हम किसी को और, ना कोई हमको भाता है। चुरा के आँख मै तब, निकल जाता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 77 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 26 May 2024 · 1 min read सूनापन गए इस घर से तुम, एक कमरे को सूना करके, वो कमरा ही नहीं, मेरा दिल भी सूना है। तुम्हे अहसास हो न हो, वो कमरा नहीं था, वो तो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 60 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 24 May 2024 · 1 min read धूप छांव धूप -छांव सा अपना जीवन, जिसमे हम चलते रहते, दुःख की धूप हो, या सुख की छांव, हम हंस कर सहते रहते। कठिन समय जब आता है, ये जीवन बहुत... Poetry Writing Challenge-3 70 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 24 May 2024 · 1 min read स्वपन सुंदरी रात हुई तो आंख लगी, फिर सुबह हुयी थी सपने में। सपने में जो देखा मैंने, फिर मै न रहा था अपने में। अपने में मै खोया था जब, आवाज... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 70 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 22 May 2024 · 1 min read फितरत की कहानी वक़्त बदल जाता है बदल जाते हैं मौसम, बदलाव के साथ चलती है ये कुदरत। नहीं बदलती है कभी पर वो, जो है इंसान की फितरत। फितरत इंसान की परछाई... Poetry Writing Challenge-3 51 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 22 May 2024 · 1 min read जीवन है ये छोटा सा जीवन है ये छोटा सा, काम कर लो खत्म सभी । मृत्यु का कुछ पता नहीं , कल हो या फिर हो अभी । जीवन है ये छोटा सा, काम... Poetry Writing Challenge-3 56 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 22 May 2024 · 1 min read बचपन के वो दिन वो दिन भी क्या दिन थे, जब धूप हमें छाँव लगती थी । खाली पेट भी जो होते हम, तब भी हमें फुर्ती लगती थी । बचपन के वो दिन... Poetry Writing Challenge-3 33 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 22 May 2024 · 1 min read फितरत के रंग फितरत के हैं रंग कई, कुछ गाढ़े कुछ फीके। ये तो साथ जनम से है, इसको कोई न सीखे। भीतर मन के घुसी हुई, फितरत की ये काया। कोई समझ... Poetry Writing Challenge-3 1 49 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 22 May 2024 · 1 min read भारत अपना देश लाल किले से आज तुम्हे, देता ये सन्देश। सबसे न्यारा सबसे प्यारा, भारत अपना देश। अलग अलग हैं बोली इसकी, अलग अलग परिवेश। फिर भी रहता एक हमेशा, भारत अपना... Poetry Writing Challenge-3 43 Share प्रदीप कुमार गुप्ता 22 May 2024 · 1 min read चंद्रयान ३ देश हमारा गरज रहा है, देखो आज चाँद पर। चंद्रयान जा पहुंचा उसपर, सारे रोड़े फांद कर। बहुत बड़ी उपलब्धि है ये, जश्न मनाये हर एक जन। इतिहास में अमर... Poetry Writing Challenge-3 · Poem 63 Share