Nitin Kulkarni Poetry Writing Challenge-3 51 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read सच तो हमेशा शांत रहता है "सच तो हमेशा शांत रहता है, झूठ होगा तभी हाका हुआ होगा" कुछ न कुछ तो जला ही होगा आखिर कैसे कोई खाक हुआ होगा कभी सुना नहीं, कहीं किसी... Poetry Writing Challenge-3 1 55 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read दूध मलाई और खुरचन "दूध मलाई और खुरचन" जब कभी भी दूध या उस की मलाई की बात होती है ज़ेहन में दूध पर तैरती वो सफ़ेद मोटीसी परत होती है जो दूध को... Poetry Writing Challenge-3 2 53 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read मील का पत्थर "मील का पत्थर या झील का पत्थर - चुनाव आपका है" बाल्य अवस्था का भोलापन भरता है पंखों पर यकीन के बुद्धिचातुर्य की उड़ान, नापने आकाश, अपनी ज़मीन के विपदाएं... Poetry Writing Challenge-3 2 68 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read जीवंतता "जीवंतता यानि निर्बाध निरंतरता" नदियों में लहरें उठती हैं, चलती हैं बहती हैं तो वो गतिमान रहती हैं उनके बहने से, रास्ता बनता है और नदियां भी कांतिमान रहती हैं... Poetry Writing Challenge-3 1 75 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read तरक्की के आयाम "तरक्की के आयाम" कहां तो एक कूड़ेदान हुआ करता था, पूरे कुनबे के लिए कहां आज, डस्टबिन मयस्सर हैं, हर एक कमरे के लिए पहले फ़ल सब्ज़ियां, छीली कम, खाई... Poetry Writing Challenge-3 1 67 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read रिश्तों की सार्थकता "रिश्तों की सार्थकता में सहवास की महत्ता" कर्तव्यों की चीखपुकार में धुंधलाता रहा ममत्व का जीवन चक्र कल की ही फ़िक्र में खोया रहा, हर पल मेरे आज का ज़िक्र... Poetry Writing Challenge-3 1 65 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read किफायत या सहूलियत "किफायत या सहूलियत" किफायत और सहूलियत का, कभी एक साथ होना मुनासिब तो खैर है ही नही और मुमकिन भी नही है किफायत, ज़िंदगी जीने का, वो एक नायाब हुनर... Poetry Writing Challenge-3 48 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read मुफ्त का चंदन "मुफत का चंदन, घिस रहे मोरे नंदन" त्योहारों पे आज लोग, एक दूसरे को, इतनी दुआएं दे डालते हैं कहां रक्खे थे, कहां से लाते हैं, हम क्या, वो खुद... Poetry Writing Challenge-3 91 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read खामोशी के किवाड़ "ख़ामोशी के किवाड़, बड़ी ख़ामोशी से, रोज़ खोलिए" आप, अपनी कहिए, और उन्हें, उन की, बोलने दीजिए इस तरहा, अपने घर के, हर दरवाज़े को, रोज़ खोलिए आप की अपनी... Poetry Writing Challenge-3 44 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read संवेदनशीलता का रोमांच "संवेदनशीलता का रोमांच और धड़कन की थिरकन" नयन अब झुकते नहीं गाल लज्जा से लाल नही होते सिहरन झुरझुरी रोंगटे खड़े कहीं फिलहाल नहीं होते अजीब सा चलन है आज... Poetry Writing Challenge-3 39 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read कर्म चरित्र वर्णन "कर्म चरित्र वर्णन" जो अपना हर कार्य, पूर्ण रूप से करे, वो महामानव है जो अधूरे कार्यों को, बतलाने से कर दे, वो मानव है जो अधूरे कार्यों को, बताने... Poetry Writing Challenge-3 48 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read प्रश्न जन्माष्टमी "प्रश्न जन्माष्टमी" प्रश्न पूछना होता है किसी मां द्वारा एक बच्चे को, जन्म देने के समान जिस के भीतर विद्यमान असीमित संभावनाओं का सही सही अनुमान तो खुद वो मां... Poetry Writing Challenge-3 64 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read औचित्य "उचित, अनुचित, यथोचित का औचित्य" यदि कोई कथन तथ्यों पर आधारित है, सही है क्या फ़र्क पड़ता है, कि ये बात किस ने कही है परंतु प्रायः देखा गया है... Poetry Writing Challenge-3 29 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read अभिव्यक्ति "अभिव्यक्ति स्वतन्त्रता एवं वैचारिक सहिष्णुता" अभिव्यक्ति की, स्वतंत्रता के, असल मायने होते हैं विचारों को बिना किसी भय या दबाव के कह पाना व्यक्ति, एवं उस की अभिव्यक्ति का, भेद... Poetry Writing Challenge-3 36 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read दोपहर की धूप "दोपहर की धूप" दोपहर की धूप जब, घर आंगन में उतर आती है सूरज की किरणें भी, अलसाई सी बिछ जाती हैं लेता है धवल उजियारा सभी अपने आलिंगन में... Poetry Writing Challenge-3 65 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read नाम या काम "नाम नही काम से जाने जाओ, अंततः काम ही काम आते हैं" आदर्श कभीभी कहे या सुने नहीं जाते हैं समक्ष रखे जाते हैं ये अमूल्य क्षण हैं जो इतिहास... Poetry Writing Challenge-3 38 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read जीवन चुनौती से चुनौती तक "जीवन - चुनौती से चुनौती तक" हमारा ये जीवन "एक नई चुनौती हर दिन" के मंतव्य से आरंभ होकर "हर दिन एक नई चुनौती" गंतव्य तक की एक अथक अविरल... Poetry Writing Challenge-3 60 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read आइए चलें भीड़तंत्र से लोकतंत्र की ओर "आइए चलें भीड़तंत्र से लोकतंत्र की ओर" घरों में रहने वाले तो, अमूमन रोज़ ही, इन सड़कों पर निकलते हैं कुछ मंज़िलों तक जाने के लिए, बाकी अपना काम करने... Poetry Writing Challenge-3 34 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read निशब्द "निशब्द" दिवालियापन, क्यूं कर इस कदर बढ़ता रहा उन का वो पत्तों को सींचते रहे इधर जड़ें खोखली होती रहीं जो दिखाई देता है वो दिखता नहीं, दिखाया जाता है... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read घर परिवार पड़ाव - बहाव में ठहराव "घर परिवार पड़ाव - बहाव में ठहराव " अद्भुत है यह अनुभव, कैसे, बदलते रहते हैं परिप्रेक्ष्य व्यक्तिमत्व जुड़ते गए जग में, एक बड़ा परिवार मिला समक्ष होकर भी न... Poetry Writing Challenge-3 48 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read इमारत बुनियाद और मलबा "इमारत, बुनियाद और मलबा" जब कभी भी इमारतें मलबे में तब्दील हुईं हैं बताया ये गया लोग मलबे में दब कर मर गए ये इमारत भी बनी थी उन्हीं ईंटों... Poetry Writing Challenge-3 51 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read अमृतमयी प्रेम "अमृतमयी प्रेम" प्रेम इस जीवन का अमृत है वो सदैव अमृत ही रहता है ममत्व का साया हो या आसक्ति की माया हो विरक्ति की सांझ हो या भक्ति भाव... Poetry Writing Challenge-3 43 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read नाटक "नाटक" मानवीय जीवन के यापन में, जब अपने अपनों के ही द्वारा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को, स्वच्छंदता, उत्श्रृंखलता मान, सुख दुख, आनंद उल्लास को, विलासिता या भावुकता जान, हर बार,... Poetry Writing Challenge-3 39 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read बुलबुलों का सतही सच "बुलबुलों का सतही सच" कुछ न होते हुए भी, कुछ बन कर, हमें बनाने वालों ऐसे बनने से, हमारा, कुछ न बन पाना, ही बेहतर है मैं जो हूं, जैसा... Poetry Writing Challenge-3 44 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से "जो हैं वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से" आप की हर इक बात को सुना जाता है हर अदा, काबिल-ए-गौर हुआ करती है जब भी पेश आएं... Poetry Writing Challenge-3 32 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read बड़ी मां "बड़ी मां" शब्दों में सरलता, भावों में सहजता, कथन में नम्रता, चिंतन में सकलता, अर्थ में गहनता, चेतन में सजगता, वाणी में प्रखरता, मन में सहृदयता, विचारों में सघनता, अभिव्यक्ति... Poetry Writing Challenge-3 51 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read दोहरापन "दोहरापन" मैं अपनी नज़र में चाहे कितना भी बड़ा बेईमान रहा हूं आप मेरी ईमानदारी पर शक करें, ये मुझे बर्दाश्त नहीं मैं क्या हूं, और क्या नहीं हूं, है... Poetry Writing Challenge-3 38 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read लज्जा "लज्जा असहाय नही है, वही सहाय है" लज्जा नही होती है, दीनता या क्षीणता ये तो धरणी रही है, हमारे संस्कारों की जब कभी भी औचित्य है संकट में पड़ा... Poetry Writing Challenge-3 72 Share Nitin Kulkarni 3 May 2024 · 1 min read मौलिकता "मौलिकता" जब हमारी ज़िंदगी, मूलतया मौलिक होती है, व मानव की मूल प्रकृति, स्वाभाविक होती है तो भला क्यों रहे अभाव मौलिकता का,जहाँ, आप की अपनी अभिव्यक्ति की बात होती... Poetry Writing Challenge-3 38 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read मैं मेरा घर मेरा मकान एक सोच "मै मेरा घर और मक़ान - एक सोच" जब से, हमारे अपनों की, अतरंग तस्वीरें सामाजिक माध्यमों में नज़र आने लगी हैं ये साफ हो चला है के घर की... Poetry Writing Challenge-3 1 37 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read ललक लालसा और लालच "ललक, लालसा और लालच" लालच भी कभी भोला हुआ करता था जब चटोरे बालक की लार टपकती थी ललक का प्रकट रूप लालसा होती थी बबुआ के बढ़े हाथों पर... Poetry Writing Challenge-3 1 49 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read हम ने तवज्जो नहीं दी "हम ने तवज्जो नहीं दी" आज अगर कहीं वाकई कोई कमी हो रही है तो, वो है धीरज सबर संतोष इतमिनान तसल्ली की इसलिए नहीं कि ये कभी भी नहीं... Poetry Writing Challenge-3 1 50 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read ज़रूरत मतलब लालच और रिश्ते "ज़रूरत, मतलब, लालच और रिश्ते" ज़रूरतें कब हो गईं, एक गैर जरूरी बात, पता ही न चला रोशनी का सबब ढूंढते, कब हो गई रात, पता ही न चला अब... Poetry Writing Challenge-3 1 67 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read स्वार्थों सहूलियतों के बांध "स्वार्थों सहूलियतों के बांध" बांध के टूटने पर, तो मित्र, बाढ़ ही आती है, और वो अपने साथ सर्वस्व बहा ले जाती है, प्रश्न ये नहीं है कि, बांध मजबूत... Poetry Writing Challenge-3 1 42 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read गलतियां अपनों के साथ हुआ हो, या गैरों के हर तजुर्बे से हमें ये सीख मिलती है गलतियों से बचने की कोशिश करना ही शायद हमारी सबसे बडी गलती है कभी... Poetry Writing Challenge-3 1 58 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read सूर्य वंदना "सूर्य वंदना" कहते हैं कि सूर्य को, कभी कोई, छू नहीं पाया है हां, वो छूता है सभी को, सभी पे उस का साया है उसी की किरणों से है... Poetry Writing Challenge-3 1 47 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read बचपन "बचपन" बचपन की भोली, अबोध लालसाएं, जब लड़कपन, बांकपन से होती हुई जवानी की दहलीज से गुजरकर भी, अतृप्त अपूर्ण अधूरी ही रह जाती हैं तो भोलापन, बन जाता है,... Poetry Writing Challenge-3 1 45 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read भविष्य की पुकार अबोध, साहजिक अनिभिज्ञता, परिस्थितिजन्य अस्थाई स्थितप्रज्ञता, या निर्दिष्ट अल्पकालीन निष्क्रियता, निर्बाध असावधान निश्चिंतता व सामरिक असंवेदनशीलता की व्यवस्था अवस्था से सभी प्रकार से वांछनीय, स्वीकार्य व शिरोधार्य है कारण -... Poetry Writing Challenge-3 1 37 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read सीरत तेरी सीरत से, नहीं मिलती, किसी की सीरत हम अपने ज़ेहन में, तेरी तहरीर लिए जीते हैं तेरी सच्चाई का सच, ज्यों ज्यों गहराता गया खुद को रहे हारते मगर,... Poetry Writing Challenge-3 1 31 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read जीवन यात्रा ध्येय लक्ष्य पड़ाव "जीवन यात्रा - ध्येय, लक्ष्य, पड़ाव" दिशाहीन होने से, भला है दृष्टिहीन होना मतिभ्रष्ट होने से, भला है बुद्धिहीन होना यदि संशय हो तो, क्षणभर विश्राम कर लें पथभ्रष्ट होने... Poetry Writing Challenge-3 1 41 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read अचानक "अचानक" ज़िन्दगी में यूं अचानक कुछ भी नहीं होता हर वाक़ए की एक अपनी कहानी होती है अचानक की बात, वही लोग करते हैं, जिन्हें जानते बूझते कोई कहानी झुठलानी... Poetry Writing Challenge-3 1 39 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read हर नया दिन हर नया दिन, हमेशा, अतीत के अनुभवों से सम्मोहित पुष्पों के प्रतिबिंब सा, प्रकृति की गोद में मुस्कराते हुए, नये अनवरत, अनगिनत, अनछुए अवसरों की प्रस्तावना लिए, सुहावने भविष्य के... Poetry Writing Challenge-3 33 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read नींव की ईंट जब इस अदारे के, अमूमन, सभी बाशिंदे, अपने, दीन-ओ-ईमान की कसमें खाते हैं नवाज़ा जाता रहा है अक्सर जिन्हें ईनामों से, किस्से यहां जिन की गैरतमंदी के पढ़े जाते हैं... Poetry Writing Challenge-3 1 44 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read प्यार की पुकार "प्यार की पुकार" जंग में जीती गई हर ज़मीं से प्यारी प्यार में हारी गई हर हार होती है किसी की आंख से निकले हुए आंसू में दर्द हो ना... Poetry Writing Challenge-3 1 36 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read स्मरण रहे स्मरण रहे, सामरिक परिप्रेक्ष्य में शाब्दिक संघर्ष, तार्किक विमर्श, व सांख्यिक निष्कर्ष, हमें चाहे जितने भी, प्रखर, प्रचुर, प्रबल प्रतीत हों, वे क्षणिक होते हैं, अस्थाई होते हैं, वहीं मार्मिक... Poetry Writing Challenge-3 44 Share Nitin Kulkarni 2 May 2024 · 1 min read मानवीय मूल्य जब कभी हमारी इस दुनिया में मूल्यों नीतियों का दमन होता है खुदगर्ज़ और कमज़र्द लोगों में बड़े ग़ज़ब का समन्वयन होता है जब कभी आदर्शों की आहुति दे खोखले... Poetry Writing Challenge-3 32 Share Nitin Kulkarni 1 May 2024 · 1 min read अपना अपना सच "अपना अपना सच" मेरे शहर में, होड़ लगी है, अपना लोहा मनवाने की हर व्यक्ति, कोशिश में है, एक सच को झुठलाने की जिसकी लाठी उसकी भैंस से, अक्ल बड़ी... Poetry Writing Challenge-3 2 80 Share Nitin Kulkarni 1 May 2024 · 2 min read आप्रवासी उवाच "आप्रवासी उवाच" उसने शहर को छोड़ा या शहर ने उसको, ये बहस की बात होगी, पर एक बात, तो हर हाल में तय है, अपनाया दोनों ने नहीं था घर... Poetry Writing Challenge-3 2 62 Share Nitin Kulkarni 1 May 2024 · 1 min read कर्तव्य पालन का अधिकार "कर्तव्य पालन का अधिकार" आइए फिर एक बार चलें हम, आप, सभी, दो कदम मौका, फिरका, और ताकत परस्तों की दुनिया से दूर एक ऐसी दुनिया में जहां हर धर्म... Poetry Writing Challenge-3 2 66 Share Nitin Kulkarni 1 May 2024 · 1 min read तालीम का मजहब तालीम का मजहब हाँ, मुझे आज भी, यह अच्छी तरह से याद है, मेरी किसी स्कूल में मेरा कोई मज़हब नहीं था, मेरे गुरुवर रहे होंगे, चाहे किसी भी धरम... Poetry Writing Challenge-3 2 43 Share Page 1 Next