manorath maharaj Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid manorath maharaj 31 May 2024 · 1 min read मैं घर का मेंन दरवाजा हूं। मैं घर का मेन दरवाजा हूं हो गया हूं लम्बी उम्र का फिरभी रंग-पेंट से ताजा हूं। मुझे बनाने के लिए पहले मोटे दरख़्त को काटा गया चीर काल तक... Poetry Writing Challenge-3 2 102 Share manorath maharaj 31 May 2024 · 1 min read उम्र नहीं बाधक होता। उम्र नहीं बाधक होता जग का इतिहास बदला उसने संघर्ष निरत रह जिया जिसने सह आंधी तूफ़ान बरसा बूंदी हर मौसम को सहा जिसने । जो भी आया इस धरती... Poetry Writing Challenge-3 3 82 Share manorath maharaj 30 May 2024 · 2 min read मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे बेशक हम पढ़े - लिखे कम थे समझते ज्यादा थे, बोलते कम थे और स्वभाव से नम थे। हम आसानी से जान जाते थे... Poetry Writing Challenge-3 1 73 Share manorath maharaj 30 May 2024 · 2 min read मन मसोस कर। सह लेता हूं सबकुछ मन मसोस कर । उस आदमी का बुढ़ापा सिहर गया था उस दिन जब उसका आत्मज आंख तरेर कर बोला था आपने मेरे लिए किया ही... Poetry Writing Challenge-3 76 Share manorath maharaj 30 May 2024 · 3 min read मन ही मन घबरा रहा था। मैं मन ही मन घबरा रहा था एक दिन अचानक दूर से दिखे रामाकांत भाई बहुत ताज्जुब हुआ बंगलोर जैसे शहर में जिसने तीस वर्ष से ज्यादा गंवायी, गांव की... Poetry Writing Challenge-3 79 Share manorath maharaj 29 May 2024 · 2 min read मलता रहा हाथ बेचारा मलता रहा हाथ बेचारा । नदी किनारे एक पेड़ पर रहता था एक बंदर प्यारा पेड़ के नीचे बहती थी नदी की अविरल जल-धारा फलता था स्वादिष्ट फल सारा उस... Poetry Writing Challenge-3 1 59 Share manorath maharaj 29 May 2024 · 2 min read एक अधूरी कविता। एक अधूरी कविता एक उमंग उस दिन आकर काव्य दीप जला डाला मैंने भी कुछ शब्दों को चुन कविता एक बना डाला देख अपनी काव्य कुशलता दिल-दिमाग उद्वेग हुआ गर्वित... Poetry Writing Challenge-3 53 Share manorath maharaj 29 May 2024 · 1 min read समझिए बुढ़ापे में पग धर दिये। समझिए बुढ़ापे में पग धर दिये। चेहरे पर झुर्रियां जब छाने लगे करीबी जब दूरियां बनाने लगे दिखने लगे जब उपेक्षा-तिमिर समझिये बुढ़ापे में पग धर दिये। पैर चलने में... Poetry Writing Challenge-3 1 78 Share manorath maharaj 29 May 2024 · 1 min read हंसी का महत्व हंसी का महत्व हमारे व्यक्तित्व में निखार उपजाती है हंसी प्रेमियों को आनंद-पयोधी में डुबाती है हंसी हमारे बहुत सारे ग़मों को भुलवाती है हंसी संघर्षमय जीवन जीने की कला... Poetry Writing Challenge-3 46 Share manorath maharaj 27 May 2024 · 1 min read दुनिया में मैं कुछ कर न सका दुनिया में मैं कुछ कर न सका जीवन गुत्थी रही जस-की-तस, हुई न थोड़ी भी टस-से-मस। जीवन भर कर्म किया अविरल, मिला न कभी जी को सुख-रस। मुस्कान अधर पर... Poetry Writing Challenge-3 45 Share manorath maharaj 27 May 2024 · 1 min read सिस्टमी चाल में चलना सीखो (एक व्यंग्य रचना)) सिस्टमी चाल में चलना सीखो सिस्टम में हो लाख बुराई पर गुणगान इसका तू करना सीखो विजय पताका फहराना है तो सिस्टमी चाल में चलना सीखो। बात आज की नहीं... Poetry Writing Challenge-3 41 Share manorath maharaj 26 May 2024 · 1 min read उलझन उलझन चले थे लेकर के एक सपना सभी को खुश रखूंगा मैं सहूंगा मैं हर आंधी पानी मगर उफ तक नहीं कहूंगा मैं। पर अपनों ने ऐसा वार किया मुझको... Poetry Writing Challenge-3 65 Share manorath maharaj 24 May 2024 · 1 min read सत्य को फांसी पर चढ़ाई गई सत्य को फांसी पर चढ़ाई गई । एक दिन सत्य पर झूठ के द्वारा मनगढ़ंत मुकदमा लिखवाई गई। बात ज्यादा लोगों तक पहुंचे इस वास्ते अखबार में छपवाई गई ।... Poetry Writing Challenge-3 39 Share manorath maharaj 24 May 2024 · 1 min read मेरी जिंदगी की दास्ताँ । मेरी जिंदगी की दास्ताँ । धूप में तपता रहा ठंड में ठिठुरता रहा आंधी और तूफान में भींगता रहा भागता रहा शरण नहीं दिया कोई हाल हो गया था खास्ता।... Poetry Writing Challenge-3 31 Share manorath maharaj 20 May 2024 · 1 min read दोहा दोहा वक्त बदला, हम बदले,बदल गया सब रीति-रिवाज. हेलो हाय के सिक्कड़ जकड रहा यह सभ्य समाज.. खान-पान परिधान बदल गया , बदल लिया अपना संस्कार. छोड़ संयुक्त-परिवार पद्धति, अपना... Poetry Writing Challenge-3 49 Share manorath maharaj 20 May 2024 · 1 min read सब दिन होत न समान सब दिन होत न एक समान जिनसे बड़े-बड़े योद्धा डरते थे, गांडीव गदा धारण करते थे, बना वासुदेव को सारथी अपना, अरिदल पर बाणों की वर्षा करते थे। पर भील... Poetry Writing Challenge-3 1 41 Share manorath maharaj 20 May 2024 · 1 min read निर्भय होकर जाओ माँ निर्भय होकर जाओ माँ कुंती कर्ण के पास गई, अपना दुखड़ा सुनाया, पुत्र को बहुत मनाया। पांच पुत्रों की जान बख्शने के लिए, बड़ा भाई बनकर नया इतिहास रचने के... Poetry Writing Challenge-3 1 35 Share manorath maharaj 17 May 2024 · 1 min read बात ही कुछ और है बात ही कुछ और है। वेटिंग टिकट से रेल सफर करने का ऑर्डर देकर वेटर का वेट करने का आई सी इयू में रोगी से भेंट करने का बात ही... Poetry Writing Challenge-3 39 Share manorath maharaj 17 May 2024 · 1 min read नववर्ष की शुभकामना नववर्ष की शुभकामना बाग में बहार हो नदी में जलधार हो पावस की फुहार से फसल अपार हो | दीन कोई हो नहीं हीन कोई हो नहीं अमीर व गरीब... Poetry Writing Challenge-3 74 Share manorath maharaj 17 May 2024 · 1 min read मानवता का सन्देश मानवता का सन्देश घर में धन धान्य हो, शरीर पर परिधान हो वातावरण हो भयमुक्त, मन-मस्तिष्क सुजान हो| देशहित का काम हो, न यहाँ कोई नाकाम हो जिधर चल पड़े... Poetry Writing Challenge-3 39 Share manorath maharaj 17 May 2024 · 1 min read मन को मैं समझा रहा हूँ | मन को मैं समझा रहा हूँ| मरुस्थल में लहलहाते तरु-शिखा देख अकस्मात एक गजब सा ख्याल मुझको आया वीरान-बंजर वसुधा में इस दरख़्त ने पंखुरी नई और पल्लव कोमल कैसे... Poetry Writing Challenge-3 1 85 Share manorath maharaj 16 May 2024 · 1 min read कलम आज उनको कुछ बोल कलम आज उनको कुछ बोल चुनाव पूर्व जो छत्तीस होते चुनाव बाद तीरसठ हो जाते इस छत्तीस तीरसठ के गणित में दे अपना राय अनमोल. कलम आज —------------ प्रजातंत्र की... Poetry Writing Challenge-3 1 36 Share manorath maharaj 15 May 2024 · 2 min read बढ़ते मानव चरण को बढ़ते मानव- चरण को लटक पेड़ के पतली डाल से गिरगिट चला गया बहुत ऊंचा पेड़ के नीचे भूतल पर आकर मगरमच्छ ने अपना मुँह उठाकर पूछा । क्यों सखे?... Poetry Writing Challenge-3 90 Share manorath maharaj 15 May 2024 · 1 min read आज भी मुझे याद है आज भी मुझे याद है | कांख में झोला टांगकर स्कूल जाना बोरा बिछाकर पालथी मार बैठ जाना औंघी टूटते गुरूजी का पैना चलाना परन्तु हमसब को प्रेमपूर्वक पढ़ाना आज... Poetry Writing Challenge-3 1 47 Share manorath maharaj 15 May 2024 · 2 min read भ्रूण व्यथा भ्रूण व्यथा मैं जब कोख में थी बहुत डरी थी,सहमी थी भयाक्रांत थी परन्तु शान्त थी। उसदिन मैं बहुत डर गयी थी जब मेरी माँ को मेरी सगी बुआ डांट-डपट... Poetry Writing Challenge-3 1 43 Share