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भूल सकू तो भुला दूं
Kaviraag
शिकायत नही किसी से
Kaviraag
पछताता हूं फिर भी
Kaviraag
पिताजी की बाते
Kaviraag
मां
Kaviraag
बीते दिन
Kaviraag
शायद मैं भगवान होता
Kaviraag
नयन
Kaviraag
न अभिमानी बनो
Kaviraag
रानी का प्रेम
Kaviraag
फिर भी गुनगुनाता हूं
Kaviraag
यादें
Kaviraag
आने वाला कल
Kaviraag
शिखर
Kaviraag
आखिरी खत
Kaviraag
कुछ तो नहीं था
Kaviraag
उपकार हैं हज़ार
Kaviraag
ऋषि का तन
Kaviraag
भिक्षुक एक श्राप
Kaviraag
अतीत एक साथ
Kaviraag
जाने दो माँ
Kaviraag
कुछ पाने की चाह
Kaviraag
न बोझ बनो
Kaviraag
किराये का घर
Kaviraag
मदिरालय
Kaviraag