Kapil Kumar Gurjar Poetry Writing Challenge-3 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kapil Kumar Gurjar 10 May 2024 · 1 min read लोकतंत्र आप कह दीजिए कि आप मौन रहे! हम अपनी आवाज़ दुबारा नही उठाएंगे। (लोकतंत्र एक पवित्र शब्द है) देह के आराम के लिए नींद में जागकर सोना होगा चिल्लाने से... Poetry Writing Challenge-3 49 Share Kapil Kumar Gurjar 10 May 2024 · 1 min read आदमी के भीतर अंततः बीहड़ जंगल प्रवेश कर चुका है आदमी के भीतर- मेरे हृदय से प्रेम उतर रहा है धीरे-धीरे, शनैः-शनैः और मेरे भीतर का खूँखार जानवर धर रहा है विकराल रूप;... Poetry Writing Challenge-3 77 Share Kapil Kumar Gurjar 7 May 2024 · 1 min read अम्बर में लटके शब्द अम्बर के नीले रंग को मुट्ठी में बाँधकर निचोड़ा मिट्टी से फूट पड़े शब्द हरे रँग के; अम्बर में लटके शब्द धरती पर उतरे थे कड़कती बिजली के रथ पर... Poetry Writing Challenge-3 58 Share Kapil Kumar Gurjar 7 May 2024 · 1 min read शीर्षक: स्वप्न में रोटी पहले एक रोटी जरूरी है। एक रोटी सियासत के हाथों में एक सड़क पार दुकान में रोटी दोनों है फ़र्क वोट और नोट का है। रोटी और नींद में गहरा... Poetry Writing Challenge-3 95 Share Kapil Kumar Gurjar 6 May 2024 · 1 min read अस्तित्व कौन चाहता है? अपना अस्तित्व खो देना ऐसे किसी धीमी हवा में उड़ते रेत की तरह पतझड़ में पेड से गिरते पत्तों की तरह घुप्प-अंधेरे में जलते दीयें से टकराते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 60 Share Kapil Kumar Gurjar 6 May 2024 · 1 min read रातें क्या, तुमने कभी पत्थर तोड़े है? उस काली स्याह रात में जिससे हम समझौता करते है एक गहरी नींद में सोने का या फिर एक ऐसा नाटक करते है जैसे-हम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 53 Share