अनिल "आदर्श" Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read यह जीवन .... यह जीवन .... इतनी भी आसान नहीं है.... यहां तो भगवान को भी हर दुख दर्द से गुजरना पड़ता हैं ! चाहे राम कहो या श्याम शिव कहो या शंकर........ Poetry Writing Challenge-3 2 89 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read गर्मियों की छुट्टियां गर्मियों की छुट्टियां इसका इंतजार साल भर रहता था नाना के घर जाने को जो मिलता था और फिर छतों पर सोना,तारे गिनना बारिश होने पर चादर लपेटना सूरज का... Poetry Writing Challenge-3 1 49 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read We have returned from every door of life, We have returned from every door of life, But we could not get your company, Life is an unsolved puzzle, Life is like a lonely life without my beloved, It... Poetry Writing Challenge-3 63 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read कभी-कभी खामोशी की, कभी-कभी खामोशी की, चादर ओढ़ लेता हूं । उसे अपना हमसफर बना, अपने अंतर्द्वंद को मिटा लेता हूं। ऐसा नहीं खामोशी मेरी पसंद है, परंतु किसी की भावनाओं, को ठेस... Poetry Writing Challenge-3 56 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read स्त्री की कहानी स्त्री की कहानी सलाह माँगती है आज मेरी आत्मा तेरी आत्मा से...... एक सलाह मांगती है। कि, खुद को जिंदा रखने की खातिर, तेरे हीं साँसों में...... पनाह चाहती है।... Poetry Writing Challenge-3 51 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read बदली गम की छंटती, चली गई धीरे धीरे बदली गम की छंटती, चली गई धीरे धीरे राह जीने की बनती, चली गई धीरे धीरे। लगता तो था ना ज़ी पाऊँगा बिन उसके आदत जीने की पड़ती, चली गई... Poetry Writing Challenge-3 56 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 2 min read कभी पत्नी, कभी बहू कभी पत्नी, कभी बहू कभी भाभी, कभी मामी। और अक्सर देवरानी या जेठानी। या फिर चाची, ताई। सारे रिश्ते निभाते निभाते और ज़िम्मेदारियाँ उठाते उठाते, जब थक सी ज़ाती हैं... Poetry Writing Challenge-3 49 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read अब ऐसी कोई लालसा नहीं अब ऐसी कोई लालसा नहीं की बच्चों सी मैं दिखती रहुं। बच्चों को दोस्त,बहन बताती फिरुं मुझे अपनी उमर का ही दिखना हैं मैच्योर हो सफेदी के रंग भरना हैं... Poetry Writing Challenge-3 47 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read क्या मंद मंद मुस्कराते हो क्या मंद मंद मुस्कराते हो अंदर ही अंदर मरते जाते हो अब खुल के तुम भी हँस लिया करो ऐसे क्यूँ भला शर्माते हो तुम किस बात का डर भला... Poetry Writing Challenge-3 47 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read समय का इंतज़ार किसी ने मुझसे कहा हममें क्या अच्छा लगा, हमने हंसकर कहा तू इंसान अच्छा लगा । यूं तो सब में होती है कोई न कोई बात मगर जो तुझमें है... Poetry Writing Challenge-3 65 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read बीते पल जो छूट गया उसका क्यूं मलाल करें, जो हासिल है चलो उनसे ही सवाल करें,, बहुत दूर तक जाते हैं यादों के काफिला फिर क्यों बीती यादों में सुबह से... Poetry Writing Challenge-3 51 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read औरत तेरी कहानी औरत तेरी यही कहानी... होंठो पर मुस्कान आखो में पानी.. न ससुराल है न मायका... ना पति है ना बेटा... दोनों से है रिश्ता तेरा... पर तू न किसी के... Poetry Writing Challenge-3 47 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read अभिमान माना वो धनवान बहुत है, पर उनको अभिमान बहुत है। गया आसमा पर है जब से , रिश्तों से अनजान बहुत है । अश्क़ छुपाये है आँखों में होठों पर... Poetry Writing Challenge-3 31 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read दिल की धड़कनों को मुझपर वार दे, दिल की धड़कनों को मुझपर वार दे, आ मुझे जी भर के तू अपना प्यार दे। महक जाऊँ मैं तेरे इश्क़ की खुश्बू से, तू मुझे मिलकर कोई ऐसी बहार... Poetry Writing Challenge-3 42 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read प्यार का पैगाम कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ! मगर दिल की बेचैनी को बस बादल समझता है !! मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है !... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 36 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read गुब्बारा रंग बिरंगी गुब्बारा वाला, बेचने आया शहर में । कैसे कहूं डर लगता था मम्मी से घर में । मन ही मन सोचा था मैने गुब्बारा लाऊ घर में। तब... Poetry Writing Challenge-3 1 32 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read गांव का दर्द जल्दी जल्दी जात रहली, पैदल अपने गांव। गर्मी के मौसम रहल, छाला पडल पाँव। कहि नाही मिलल हमरा, अपना निमिया के छाँव। पानी बिना सुखल मिलल, सब पोखरा आपन गांव... Poetry Writing Challenge-3 1 60 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read मै हारा नही हूं माना कि सूरज की तरह तेज उजियारा नहीं हूँ... अंधेरों से मगर मै कभी हारा नही हूँ... झरना ही सही छोटा सा मगर... मैं समुंदर की तरह खारा नहीं हूँ.... Poetry Writing Challenge-3 1 60 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read मौत का डर जिंदगी एक पतंग की डोर है, जो बिन पूछे चली जाती है। तलवार की धार पर खड़े है लोग, पता नही चलता कब कट जाती है। एक पल की जिंदगी... Poetry Writing Challenge-3 74 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read स्वार्थी आदमी अजीब है लोग सुख में साथ देते है, तनिक भी दुःख हुआ तो छोड़ देते है। स्वार्थी बन गये सब अपने लोग, बस अपने काम का मोह देते है। मरने... Poetry Writing Challenge-3 1 1 68 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read हाय रे गर्मी हाय रे गर्मी क्यूं इतना इतराती हो, बच्चे, बूढ़े सबको रुलाती हो। बेचैन है लोग आपके सितम से, इसीसे इतना तडपाती हो। कभी तो दया करो इन मासूम पर, बारिश... Poetry Writing Challenge-3 70 Share अनिल "आदर्श" 12 May 2024 · 2 min read अपना गांव केतना बदल गइल बा गांव” घर घर संस्कृति शहर वाली लागल पसारे पाँव एसी/कूलर के हवा में दब गइल बरगद के छाँव समय के संगे केतना बदल गइल बा गांव... Poetry Writing Challenge-3 1 100 Share अनिल "आदर्श" 12 May 2024 · 2 min read नारी अक्ल बाँटने लगे विधाता, लम्बी लगी कतारी । सभी आदमी खड़े हुए थे, कहीं नहीं थी नारी ।। सभी नारियाँ कहाँ रह गयीं, था ये अचरज भारी । पता चला... Poetry Writing Challenge-3 77 Share अनिल "आदर्श" 12 May 2024 · 1 min read मलाल मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है, ये आंख रोने की शिद्दत से लाल थोड़ी है!! बस अपने वास्ते ही फ़िक़्रमंद हैं सब लोग, यहां किसी को किसी का ख़याल... Poetry Writing Challenge-3 51 Share अनिल "आदर्श" 12 May 2024 · 1 min read बेटा सोचता हूं कि अब कुछ बेटों पर भी लिखा जाये------- घर की रौनक है बेटियां, तो बेटे हो-हल्ला है, गिल्ली है, डंडा है, कंचे है, गेंद और बल्ला है, बेटियां... Poetry Writing Challenge-3 93 Share