Kanchan Gupta Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन विगत वर्ष को अश्रुपूरित हाथ जोड़ सादर वंदन नीलगगन से नवल लालिमा बिखराता आया दिनकर मंद चल रही वायु छेड़े... Poetry Writing Challenge-3 1 75 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read सपना सलोना सा प्यारा खिलौना सा सपना सलोना सा प्यारा खिलौना सा हिरणी का छौना सा चंदा का दौना सा मुझको मिला तू झरने के जल सा खिलते कमल सा ख़ुशियों के पल सा मीठी ग़ज़ल... Poetry Writing Challenge-3 71 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read दिल को तमाम बातों का तह खाना बना दे दिल को तमाम बातों का तह खाना बना दे शिकवे गिले कर कर के तमाशा न बना दे जिस शय से दिल दुःख जाए उसे भूलना अच्छा यादें कहीं अपनो... Poetry Writing Challenge-3 53 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read साजे दिल तोड़ के आवाज़ की बातें न करो साजे दिल तोड़ के आवाज़ की बातें न करो आसमां छीन के परवाज़ की बातें न करो डूबती शाम को तारों का दिलासा देकर चांद के छल भरे अंदाज की... Poetry Writing Challenge-3 47 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read तप्त हृदय को , सरस स्नेह से , तप्त हृदय को , सरस स्नेह से , जो सहला दे , मित्र वही है । रूखे मन को , सराबोर कर, जो नहला दे , मित्र वही है ।... Poetry Writing Challenge-3 130 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read गुमनाम सा शायर हूँ अपने लिए लिखता हूँ गुमनाम सा शायर हूँ अपने लिए लिखता हूँ दिल से जो हुइ बातें उसके लिए लिखता हूँ न तालियों से मतलब न दाद का सौदाई तनहाई न इतराए इसके लिए... Poetry Writing Challenge-3 1 89 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read बुला रहा है मुझे रोज़ आसमा से कौन बुला रहा है मुझे रोज़ आसमा से कौन हटा रहा है मुझे बीच दास्ताँ से कौन फ़ूल गुमसुम हैंपरिंदे चहकना भूल गए चला गया है ये चुपचाप गुलिस्ताँ से कौन... Poetry Writing Challenge-3 89 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read न दया चाहिए न दवा चाहिए न दया चाहिए न दवा चाहिए मुझको हर दिन नया हौसला चाहिए झूठी मुस्कान मुझको गवारा नहीं मुझको होठों पे सच्चा गिला चाहिए अपने पैरों पे अपना सफ़र तय करूँ... Poetry Writing Challenge-3 1 54 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read कोई त्योहार कहता है कोई हुड़दंग समझता है कोई त्योहार कहता है कोई हुड़दंग समझता है मगर होली का मतलब तो ये पागल मन समझता है हमेशा जीत कर आती है नेकी हर बुरायी को जला सकती नहीं... Poetry Writing Challenge-3 47 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read अब नहीं चाहिए बहारे चमन अब नहीं चाहिए बहारे चमन ख़ुद हमने बीन लिए खवारे चमन रौंद कर नन्हीं कलियाँ डालियों पर किस इंतज़ार में हैं कुँवारे चमन जितने भी बागवा आए वो लुटेरे निकले... Poetry Writing Challenge-3 1 79 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read तनहा भी चल के देखा कभी कारवाँ में चल के तनहा भी चल के देखा कभी कारवाँ में चल के हर हाल में पड़ता है चलना सँभल सँभल के कई बार समय बदला अच्छा बुरा बन बन के कई लोग... Poetry Writing Challenge-3 25 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read जब से दिल संकरे होने लगे हैं जब से दिल संकरे होने लगे हैं फ़ासले भी बड़े होने लगे हैं हम सम्हल कर हुए हैं पहले जैसे वो बदल कर नए होने लगे हैं दिमाग़ तो चढ़े... Poetry Writing Challenge-3 39 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read सब कूछ ही अपना दाँव पर लगा के रख दिया सब कूछ ही अपना दाँव पर लगा के रख दिया बेबसी को सादगी बना के रख दिया तू तो जीने ही क्या मरने के भी लायक न थी हम हैं... Poetry Writing Challenge-3 60 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read कोई न सुन सके वह गीत कभी गाया क्या ? कोई न सुन सके वह गीत कभी गाया क्या ? कभी पूरा न हो वह ख़्बाब कभी आया क्या? नक़ली फूलों के चटख शोख़ इरादों से कभी कोई झोंका महक... Poetry Writing Challenge-3 61 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन विगत वर्ष को अश्रुपूरित हाथ जोड़ सादर वंदन नीलगगन से नवल लालिमा बिखराता आया दिनकर मंद चल रही वायु छेड़े... Poetry Writing Challenge-3 55 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read चले आते हैं उलटे पाँव कई मंज़िलों से हम चले आते हैं उलटे पाँव कई मंज़िलों से हम जहाँ पर तुम नहीं मिलते वो कैसा आशियाना है बिखर कर फैल जाते हैं ना जाने कितने अफसाने और ये ज़िंदगी... Poetry Writing Challenge-3 31 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read सफ़र में आशियाना चाहता है सफ़र में आशियाना चाहता है ये कया ये दिल दीवाना चाहता है मिटा कर अपनी हस्ती अपने हाथों वजूद अपना जताना चाहता है ग़लतियाँ लिख के पक्के अक्षरों में आँसुओं... Poetry Writing Challenge-3 41 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read टूट कर भी धड़कता है ये दिल है या अजूबा है टूट कर भी धड़कता है ये दिल है या अजूबा है बहक कर फिर संभलता है ये दिल है या अजूबा है मैं कुछ दिन रो नहीं पाऊँ तो दम... Poetry Writing Challenge-3 38 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read ज़िंदगी क्या है क्या नहीं पता क्या ज़िंदगी क्या है क्या नहीं पता क्या सज़ा क्या जुर्म है कैसा पता क्या आइना सब को रख लेता है दिल में हुस्न बेहुस्न का उसको पता क्या चिराग़ लड़ता... Poetry Writing Challenge-3 25 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read कश्ती तो वही है तो क्या दरिया बदल गया कश्ती तो वही है तो क्या दरिया बदल गया या फिर भँवर का ज़ोरों ज़बरिया बदल गया कुछ नए लोग निशाने पे आने लगे हैं सुन रहे हैं उनका ख़बरिया... Poetry Writing Challenge-3 26 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read हँसूँगा हर घड़ी पर इतना सा वादा करो मुझसे हँसूँगा हर घड़ी पर इतना सा वादा करो मुझसे न कोई मुझपे हँसेगा न ही दीवाना कहेगा मैं सब कुछ देखकर अनदेखा सा कर ही तो दूँ लेकिन न कोई... Poetry Writing Challenge-3 31 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या लड़ती रही तू हम न थके हार गयी क्या आती नहीं कुछ ख़ैरो ख़बर दुश्मनों की अब सब कोशिशें सब साज़िशें बेकार... Poetry Writing Challenge-3 32 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read अशकों से गीत बनाता हूँ अशकों से गीत बनाता हूँ दुश्मन को मीत बनाता हूँ मैं शिक्षक हूँ मैं सेवक हूँ हर दिल में प्रीत जगाता हूँ कच्ची मिट्टी में प्राण फूँक मैं ज्ञान के... Poetry Writing Challenge-3 30 Share Kanchan Gupta 27 May 2024 · 1 min read पेड़ों ने जगह दी ना शाख़ों पे नशेमन है पेड़ों ने जगह दी ना शाख़ों पे नशेमन है टूटा हुआ पत्ता हूँ उड़ जाऊँ या गिर जाऊँ पत्थर हूँ रास्ते का शम्मा हूँ अंधेरे की ठोकर से बिखर जाऊँ... Poetry Writing Challenge-3 65 Share Kanchan Gupta 18 May 2024 · 17 min read आँख भर जाये जब यूँ ही तो मुस्कुराया कर आँख भर जाये जब यूँ ही तो मुस्कुराया कर मनाना छोड़ कर क़िस्मत से रूठ जया कर सुरमयी शाम कभी काली घटायें बन कर ऐ तमन्ना तू मेरे द्वार पर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 1 93 Share