Vishnu Prasad 'panchotiya' Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Vishnu Prasad 'panchotiya' 30 May 2024 · 1 min read अंधी पीसें कुत्ते खायें। सरकार हमारी बड़ी महान योजनाओं पर करती काम। बड़ी-बड़ी वह योजना लाती पूरे देश है में उसे फैलाती। भूखों की भूख मिटाने हेतु दाल और अनाज बंटवाती। गरीब कल्याण की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 97 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 30 May 2024 · 1 min read नशा किस बात का है। है मनुष्य कर ले नशा मगर पर बता नशा किस बात का है। शराब का है या सवाब का है धन दौलत और मान का है या अपनी झूठी शान... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 96 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read मुँह में राम बगल में छुरी। कुछ लोगों की आदत बुरी दिन प्रतिदिन करते-फिरते सब की प्रशंसा भूरी भूरी पर पीट पीछे करते हैं वह षड्यंत्र योजना पूरी पूरी। बच के रहना इनसे विष्णु इनकी की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 80 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read जिसकी लाठी उसकी भैंस। डर-डर के भी जीना क्या एक दिन सभी को जाना है । अन्याय कभी न करना मगर अन्याय कभी न सहना है। जब तक जीना है जग में स्वाभिमान से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 107 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल। गजब निराली तेरी माया जो ना अधिकारी वही है पाया जिसको धन की कदर नहीं है वही कुबेर खजाना पाया। धन दौलत के बूते पर ही समाज में उसने नाम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 96 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read एक और परीक्षा बाकी है। मतलब कि इस दुनिया में एक और परीक्षा बाकी है। स्वाभिमान की रक्षा हेतु एक और तपस्या बाकी है। आने दो उस समय को मैं क्यों प्रतीक्षा कर रहा हूँ।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 81 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read अतिथि की तरह जीवन में अतिथि की तरह जीवन में दुख सुख की बयार आती है एक के बाद ही एक सही पतझड़ तो कभी बहार आती है प्रकृति का यह अटल सत्य है। तपती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 92 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read तेरे अंदर भी कुछ बात है रे मन तू इतना मत हो उदास तेरे अंदर भी कुछ बात है तू अपना कर सकता है विकास। माना खायी दर-दर की तूने ठोकर अब तक जीवन में अरे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 63 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read तमाशा लगता है जीव जगत का जीना मरना एक तमाशा लगता है। कठपुतली सा खेल दिन रात भूलोक पर चलता है। इसकी डोर विधाता के पास सबको नाच नचाता है। रचना बड़ी निराली... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 47 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read बंदिश में नहीं रहना है अन्याय कभी ना करना मगर अन्याय कभी न सहना है। अपने जीवन की कथा यही बंदिश में नहीं रहना है। स्वाभिमान है अटल मेरा मैं इसे नहीं झुकने दूंगा। धन... Poetry Writing Challenge-3 1 99 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read और इच्छा हो जाती है मैंने जिंदगी से पूछा अरे तू इतनी रूखी रूखी सी क्यों है? इतने सुख पाने के बाद भी तू इतनी सुखी सुखी से क्यों है ? वह कौन सी तेरी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 39 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read सच्चा आनंद कोई जाकर उससे पूछे सच्चा आनंद क्या होता है जिसने दिन भर काम किया है कड़ी धूप में काम किया है खेत जोते पत्थर तोड़े। पल भर न विश्राम किया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 72 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read कर्मों का फल भुगतना है आज नहीं तो कल सबको कर्मों का फल भुगतना है। समय से टक्कर लेना क्या जब समय के आगे झुकना है। अरे मानव क्या सोच रहा तेरा अभिमान बना रहे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 46 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read कल आजकल कल की दुनिया में मन को मिले न कल हर पल हर पल हर पल। हो गये आजकल हम कल के गुलाम कल तक जो लेते थे परिश्रम से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 52 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read तू कल बहुत पछतायेगा आज काट ले पेड़ मगर तू कल बहुत पछतायेगा पेड़ काट कर घर बना ले या बना ले फर्नीचर तू। जंगल काट कर खेत बना ले या लगा ले कारखाने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 54 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 May 2024 · 1 min read वाणी अगर यह कोई मुझसे पूछे की दुनिया में सबसे बड़ा हथियार होता है क्या? नि: संकोच एक मत मेरा उत्तर होगा यही की दिखने में वह बड़ी सयानी है दुनिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 74 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 May 2024 · 1 min read लालच मैंने लालच से पूछा एक दिन तू इतना मोटा है कैसे तेरा आहार क्या है ? जो इतना फल फूल रहा है। कद तेरा इतना कैसे बढ़ता ही जा रहा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 59 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 9 May 2024 · 1 min read विवेक प्राण तत्व में एक विशेष तत्व है जिसे बुद्धि तत्व कहते हैं। पर इसे नियंत्रित करने वाला ही विवेक तत्व कहलाता है। यही तो है जो यह बतलाता क्या सही... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 80 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 9 May 2024 · 1 min read बुद्धि बुद्धि बड़ी विचित्र होती है । किसी में कम होती है तो किसी में अधिक होती है। स्मरण शक्ति का स्रोत यही है। यही अतीत बतलाती है। समस्या पैदा करने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 72 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read हे मनुष्य बड़ा लोभी है तू हे मनुष्य बड़ा लोभी है तू वासना का भोगी है तू धन का लालच कितना तुझमें अरे बड़ा फरेबी है तू मिथ्या अभिमान दिखावा खातिर कितना बड़ा ढोंगी है तू... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 38 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read अपना उल्लू सीधा करना खाना पीना और खिलाना यही चलन ही यही जमाना भोलेपन का लाभ उठाना बल के आगे दुम हिलाना उसको भावे वही दिखाना चाहे उसका पानी भरना जैसे भी हो कैसे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 48 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read जनसंख्या का भार आजाद भारत की आबादी होने को डेढ़ अरब के पार कब तक भारत सह सकेगा जनसंख्या का भार। समस्या यह छोटी नहीं है यह हमें समझना होगा राजनीति से ऊपर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 68 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read फेसबुक को पढ़ने वाले फेसबुक को पढ़ने वाले मिल जाएंगे आपको करोड़ों में पर साहित्य को पढ़ने वाले मिलेंगे हमें बस हजारों में । तो क्या साहित्य का मूल्य अब वह नहीं रह गया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 43 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read मैं एक नदी हूँ मैं एक नदी हूँ हाँ मैं वही नदी हूँ जिसे तुम माँ कहते हो जिसकी तुम पूजा करते हो। जिसका अपार वर्णन वेदों पुराणों में है। मैं मानव सभ्यता की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 55 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read हे जीवन पथ के पंथी हे जीवन पथ के पंथी तू जा कहाँ रहा है यह पथ जरा कठिन है चलना जरा संभल के इस मार्ग में है रोड़े ,कांटों की चुभन है क्या सहन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 56 Share