Shyam Sundar Subramanian "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 51 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read अस्तित्व पत्थर पर गिरते ही शीशा चूर-चूर होता है ! और शीशे पर पत्थर पड़ते ही , शीशा चूर-चूर बिखरता है ! हर बार शीशे को तोड़कर पत्थर अपनी ह़स्ती जताता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 81 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read पत्थर की अभिलाषा राह पर पड़े पत्थर ने सोचा इक दिन यह भी क्या जीवन है ? नित प्रतिदिन ठोकरें खाता फिरता हूं ! दिशाहीन मैं इधर-उधर लुढ़कता टूटता बिखरता रहता हूं !... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 63 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read संदेश अंतर्मन तिमिर नष्ट हो , जागृत हो आशा किरण , स्पंदित हो सद्भाव , नष्ट हो व्याप्त घृणा विकिरण , प्रेम मुदित मनस बने , संचरित हो सद् विचार ,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 58 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read काव्य भावना किसलय की मुस्कान बनी , मृगनयनी का श्रृंगार बनी , चंद्र किरण चंचल किरणों का वर्णन बनी, नभ आच्छादित नक्षत्र मंडल सौंदर्य भान बनी , रवि आगम प्रकाश पुंजों का... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 73 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read प्रतिशोध क्रोध , वैमनस्य, प्रतिस्पर्धा की उत्पत्ति , विवेक भंजन नकारात्मक संहारक शक्ति , अंतस अनल उत्सर्जित दहन भावना , घृणा प्रेरित विनाशक प्रतिकार कामना , ह्रदय कंटक बनी कष्ट कारक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 92 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read प्रेम प्रेम एक लगन है , इसमें रहते प्रेमी मगन हैं , यह हृदय से हृदय का स्पंदन है , यह बुझाए ना बुझे वह अगन है , यह एक सतत... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 78 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read सत्याधार का अवसान सत्य क्यों इतना प्रतीत निष्ठुर है ? असत्य क्यों इतना प्रतीत मधुर है ? क्यों सत्य सबसे अलग इतना एकाकी पड़ गया है ? क्यों असत्य का साथ देने वालों... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 42 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read जीवन संगीत समय के आगार पर मानव क्षण भर का मेहमान है , सांसों के तार पर रचित जीवन संगीत के धुनों की पहचान है , कभी मिलन ,कभी विरह , कभी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 70 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read संघर्ष संघर्ष जीवन में निरंतर विद्यमान रहता है , जो विभिन्न रूपों में प्रभावित करता रहता है , कभी खुद अपने शरीर एवं मनस से , कभी अपने दृष्टिकोण एवं मान्यताओं... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 51 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read मुस्कान शिशु की स्मित मुस्कान करती हृदय प्रफुल्लित , पलभर में दुःखों को भूलकर मन होता आनंदित , निर्विकार परमेश्वर की वह साकार अबोध कृति , उसमें स्फुरित अपरिमित विकीर्ण वह... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 47 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read जीवन एक मृगतृष्णा जीवन एक मृगतृष्णा है , जिसमें आसक्ति अपनी ओर आकर्षित करती है , आत्मीय संबंधों की विभक्ति अंतर्वेदना निर्मित करती है , स्वप्निल आशाओं ,आकांक्षाओं , अभिलाषाओं के मनस पटल... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 29 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read जीवनमंथन मैं कौन हूं ? कहां से आया था? कहां जाना है? इन सबसे अनिभिज्ञ कुछ पाकर खुश होता, कुछ खोकर दुःखी होता, अपने अहं में डूबा हुआ भ्रम टूटने पर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 53 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read यथार्थ कल्पना लोक में विचरण कितना सुखद होता है , परंतु उस व्योम के बादल छंटने पर यथार्थ का अनुभव दुःखद होता है, हम समझ नही पाते सत्य सदैव कड़वा होता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 58 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read अहं मुँह अंधेरे सवेरे किसी ने मुझे झिंझोड़कर जगाया, उठकर देखा तो सामने एक साए को खड़ा पाया, मैंने पूछा कौन हो तुम? तुमने मुझे क्यों जगाया? उसने कहा मैं तुम्हारा... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 38 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read भाव - श्रृंखला समुद्र से विशाल अंतर्मन निहित गतिशील भावनाओं की तरंगें, कभी अभिनव कल्पनाओं विभोर उमंगें, कभी नियति प्रभावित संतप्त मनोभाव, कभी परिस्थितिजन्य असहाय भाव, कभी अंतरतम मनोबल क्षीणता भाव, कभी आत्मविश्वास,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 72 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read अंदर का चोर घर के पिछले दरवाजे से चुपके से घुसने वाला वो कोई चोर नहीं है, वह घर वाला है जिसके दिल में बैठा चोर वही है, यह दिल में बैठा चोर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 60 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 2 min read गौमाता की व्यथा मैं उसे रोज अपने दरवाजे पर आते देखा करता.! कातर दृष्टि से व्यक्त उसकी मूक याचना देखा करता ! उसे कुछ बासी रोटियों से तृप्त आभार व्यक्त करते देखा करता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 77 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read जीवन संवाद एक दिन चींटी ने मधुमक्खी से कहा, तुम्हारे और मेरे जीवन का लक्ष्य परिश्रम है, मैं परिश्रमरत् संघर्षपूर्ण जीवन निर्वाह करती हूं, तुम भी जीवन भर परिश्रम कर मधुसंचय करती... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 67 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read अस्तित्व कभी किसी शिल्पकार की मूर्ति में, कभी किसी चित्रकार की कृति में, कभी किसी कवि की भावाभिव्यक्ति में, कभी किसी गायक के गायन श्रुति में, कभी किसी वादक के वाद्य... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 54 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read आत्मसंवाद एक दिन मन ने प्रज्ञा से कहा, तुम मुझ पर हमेशा लगाम लगाए रखती हो, मुझे अपने मर्जी की नहीं करने देती हो, मैं उन्मुक्त रहना चाहती हूं, अपनी उड़ान... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 47 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read बचपन एक बचपन अपने अधनंगे बदन को मैले कुचैले कपड़ों मे समेटता, अपनी फटी बाँह से बहती नाक को पौछता, बचा खुचा खाकर भूखे पेट सर्द रातों में बुझी भट्टी की... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 43 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read मौन मौन एक मूक भाषा है ! मौन अंतरात्मा की अभिव्यक्ति है ! मौन निशब्द भावनाओं का व्यक्त मूक प्रतिवेदन है ! मौन हृदय से हृदय तक संवेदनाओं का स्पंदन है... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 35 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read मजदूर की अतंर्व्यथा मैं उस बेबस लाचार मजदूर को देखता हूं, जो रोज सुबह सवेरे चौराहे पर इकट्ठी दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ का हिस्सा बनता है, अपनी बारी आने का इंतज़ार करता है,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 40 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read व्यावहारिक सत्य कुछ समझ में नहीं आता क्या गलत है? क्या सही? सही को गलत सिद्ध किया जाता है, और गलत को सही, अब तो यही लगता है, शक्तिसंपन्न यदि गलती करे,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 90 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read दुविधा उस दिन एक युवा से बातचीत करने का अवसर मिला, वर्तमान परिपेक्ष्य पर चर्चा करने पर उसने कहा, आजीविका कमाने का उद्देश्य उसके लिए सर्वोपरि है, अन्य ज्ञान की बातें,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 53 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read नियति एक नन्ही सी कली , लंबे अरसे बाद मिली , अब तो वह एक सुंदर फूल बन खिली , हंसती सबको हंसाती , खुशियों के प्रपात बिखराती , सबसे हिली... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 67 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read आत्मज्ञान कुछ तो है अंदर छुपा हुआ , जो हम अब तक ना जान पाए, खुद के अंदर झांककर , अभी तक पहचान ना पाए, इधर उधर ढूंढते रहे , कहां... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 42 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read विडंबना सत्य को स्थापित करना क्यों संघर्षपूर्ण होता है ? मानवीय संवेदनाओं के यथार्थ को समझाना क्यों मुश्किल होता है ? तर्कहीन विषयवस्तु को कुतर्क के सहारे बहुमत से प्रतिपादित करना... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 31 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read संकल्प प्रखर ज्योति की सुन्दर ज्वाला क्यों धधकी बनकर दावानल ? स्वेद से सींचा जिस महीतल को क्यों स्निग्ध है रक्त कणों से ? प्रेम से अंकुरित किया जिस उपवन को... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 51 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read धारा कोमल सा मन लिए , हर किसी को अपने में समाहित किए , अनवरत उसकी बढ़ते रहने की प्रकृति सतत , कभी तोड़ती दंभ इन चट्टानों का विकराल , कभी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 48 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read नारी मनीषियों , संतो , शूरवीरों की जगत जननी , ममता से सहेजती संस्कारों से सँवारती त्याग की प्रतिमूर्ति , जीवन पथ पर बनी प्रेरणा स्रोत वह जीवनसंगिनी , सहनशीलता की... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 56 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read प्रेरणा चँंद्र किरण प्रकाश में करो ना प्रयत्न खोजने भाग्य रेखाए्ँ ! जागो नवप्रभात यथार्थ रवि आगम प्रकाश पुन्जौं में खोजो नई दिशाएंँ ! भंग करो तँद्रा तिमिर को नष्ट करो... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 32 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read मानवता मन के सुंदर उपवन में खिलती और प्रेम से सिंचित होती , अभिलाषाओं और आकांक्षाओं से परे उपजती , कभी ना बँधती जाति धर्म के बंधन में जो , रखती... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 50 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read अस्तित्व पत्थर पर गिरते ही शीशा चूर-चूर होता है और शीशे पर पत्थर पड़ते ही शीशा चूर-चूर बिखरता है , हर बार शीशे को तोड़कर पत्थर अपनी ह़स्ती जताता है और... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 34 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read दिवास्वप्न हम में हर कोई एक सपना लिए यथार्थ की त्रासदी भोग रहा है , किंचित उस स्वप्न टूटने की आशंका मात्र से सिहर उठता है , वह उसे अपने मानस... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 35 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read अंतहीन प्रश्न जीवन एक अंतहीन प्रश्न की भांति आकांक्षा और अभिलाषा को समेटे हुए , आशाओं और निराशाओं के पलों को समाहित किए हुए , व्यथाओं और कुंठाओं से युक्त क्षणों को... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 33 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read जागृति दुनिया देखने वाले क्या तुमने कभी खुद के अंदर झांक कर देखा है ? अपने अंदर धधकती दावानल सी क्रोध , द्वेष , क्लेश की अग्नि को कभी पहचाना है... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 66 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read वास्तविकता संस्कार आदर्श नीति चरित्र सब बातें भूख के सामने थोथी लगती है , क्योंकि भूखे पेट के सामने केवल दो रोटी जुटाने का लक्ष्य ही सर्वोपरि होता है , जिस... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 38 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read ईश्वर एक बार मुझसे यह प्रश्न किया गया कि क्या तुमने ईश्वर को देखा है ? मैंने कहा हाँ, मैंने उन्हें मासूम बच्चों की मुस्कुराहटों में देखा है , तपती धूप... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 51 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 2 min read युगपुरुष उसको देखा है मैंने रात के अंधेरे में टिमटिमाते दीये की रोशनी की तरह , उसको देखा है मैंने किसी खत्म न होती कहानी की तरह , उसको देखा है... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 29 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read मुस्कुराहटें अपने आप में कुछ मर्म को समेटे हुये, या अपनी मूक सहमति प्रकट करते हुए, या कुछ निर्विकार निरापद सा भाव लिए हुए, या कुछ प्रसन्नता का भाव प्रदर्शित करते... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 43 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read किंकर्तव्यविमूढ़ एक दिन मैंने ज़िंदगी से पूछा तुम इतनी निष्ठुर क्यों हो ? ज़िंदगी बोली यह मेरा कसूर नहीं है मैं तो हालातों के हाथों मजबूर हूं, मैंने हालातो से कहा... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 47 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read बाज़ीगर मौत से खेलते बाज़ीगरो को आपने देखा होगा, कभी सर्कस में ,कभी सड़क पर मजमा लगाते, कभी मौत के कुएँ में मोटरसाइकिल चलाते देखा होगा, ये वो जाँबाज़ है जो... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 43 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read माँ माँँ वह छांव है जिसके तले हम पले बड़े है, वह सुखद अनुभूति है जिसे हम बचपन से अब तक संजोये रहे है, वह एक प्रेरणा स्त्रोत है जो हमारे... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 45 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read पत्थर की अभिलाषा राह पर पड़े पत्थर ने सोचा इक दिन यह भी क्या जीवन है ? नित प्रतिदिन ठोकरें खाता फिरता हूं, दिशाहीन मैं इधर-उधर लुढ़कता टूटता बिखरता रहता हूं, हेय दृष्टि... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 30 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read अश्रु की भाषा अश्रु की अपनी भाषा होती है। कभी कष्ट के , तो कभी प्रसन्नता के , कभी आघात के , तो कभी पश्चाताप के , कभी मिलन के , तो कभी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 32 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read पुष्प की व्यथा पुष्प हूँ काँटो में रहना पड़ता है, टूट कर मिट्टी में मिल जाना पड़ता है, मेरी सुगंध और सौंदर्य कुछ पल के हैं, मुरझाने पर मेरा स्थान धरती तल के... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 53 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read प्रतिभा घूरे में पड़े हुए ये हीरे हैं , जिन्हें कोई ना पहचान सका, कीचड़ में खिले हुए अप्रतिम पुष्प हैंं , जिन्हें अब तक कोई न जान सका , निर्धनता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 31 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read कर्णधार उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक मैंने देखी थी , जिंदगी में कुछ कर गुजरने की उमंग उसमें मैंने देखी थी , परिस्थिति का मारा वो बेचारा, सम्बलविहीन ,कटु... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 33 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read नारी अस्मिता मन उपवन की नन्ही कली, जो घर आंगन में पली-बढ़ी, फूल से चेहरे पर खिली उसकी मुस्कान, माता पिता, बंधु बांधव, मित्रों की जान, सदा निस्वार्थ सेवा, सहायता को तत्पर,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 37 Share Page 1 Next