ओमप्रकाश भारती *ओम्* Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ओमप्रकाश भारती *ओम्* 19 Feb 2024 · 1 min read हम शिक्षक गर्व करें हम हैं भारत के शिक्षक हम राष्ट्र संस्कृति सभ्यता के रक्षक हम सभी शिक्षक क्रांतिवीर अशिक्षा मिटाने सदा अधीर समाज में ज्ञान के दीप जलाते बच्चों को नैतिकता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 110 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 19 Feb 2024 · 1 min read निरोगी काया ढूंढ रहे आज सब निरोगी काया पर प्रकृति के संग रहना ना आया दिनचर्या कर ली है अस्त-व्यस्त बताइए अब कैसे रहेंगे स्वस्थ देरी से जागना और देरी से सोना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 183 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 19 Feb 2024 · 1 min read पर्यावरण प्रदूषित हो रहा दुनिया का पर्यावरण अब नहीं सुरक्षित पृथ्वी का आवरण अतः क्यों न जाएं हम प्रकृति की शरण तभी रुकेगा सजीव निर्जीवों का क्षरण मानव अपना लो अब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 108 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 18 Feb 2024 · 1 min read बारिश बादल गरजे , बिजली चमके , झमाझम बरसे पानी , यही बारिश कहलाए ताल तलैया जल भरपूर , नदियों में आ जाती पूर , खेत गली पानी सब दूर ,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 128 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 18 Feb 2024 · 1 min read फागुन की अंगड़ाई मधुमास की खुशबू बिखरने लगी है किंशुक कुसुम से चमकने लगी है आमों की बौरों से गमकने लगी है कोयल की कूक से चहकने लगी है सखी साजन अभी तक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 205 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 17 Feb 2024 · 1 min read बचपन और पचपन उमर पचपन की और दिल बचपन का यादों में बसा है मेरे वह दिन बचपन का कोई लौटा दे मुझे वह दिन बचपन का बड़ा ही अलबेला है ये दिन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 154 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 17 Feb 2024 · 1 min read होली का त्यौहार देखो आ गए हैं हुरियार खेलने होली का त्यौहार करने रंगों की बौछार तुम सब हो जाओ तैयार गालों पर मल दो तुम गुलाल मिटा दो मन के सब मलाल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 133 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 17 Feb 2024 · 1 min read रिश्ते-नाते वह रिश्ते-नाते , जो सबको भाते दूर हैं जो अपने , पास उनको बुलाते स्वागत सत्कार करें , घर में जो भी आते नैनों में ओम अश्रु , भर आए... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 116 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 17 Feb 2024 · 1 min read बारिश का मौसम यह है बारिश का मौसम सुनिए इसके अनुपम स्वर निर्झर का झर झर नदियों की कल कल बिजली की चमचम मेघों की गर्जन हवाओं की सनसन भंवरों की गुनगुन पंछियों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 146 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 17 Feb 2024 · 1 min read पूजा पूजा वीणा दायिनी , नमन करे संसार । उर नवल ज्ञान दायिनी , बुद्धि देती अपार ।। बुद्धि देती अपार ,जग माता पद्मासना । शारदे हंस वाहिनी , वर दे... Poetry Writing Challenge-2 134 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 16 Feb 2024 · 1 min read पथ प्रदर्शक पिता पिता हमारा जीवन दाता वह हमें इस संसार में लाता पिता बिना जीवन असंभव करते वह सब कुछ संभव पिता विशाल बरगद की छांँव जिसकी छाया में हमारा ठाँव पिता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 127 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 16 Feb 2024 · 1 min read वसंत पंचमी ऋतु बसंत के आते ही वसंत पंचमी आ गई धरती में छाया वसंती रंग भीनी सुगंधी छा गई आम बौरा गए कोयल की मीठी धुन गूंज गई पीला बसंती रंग... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 119 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 16 Feb 2024 · 1 min read आजादी की कहानी देश प्रेम से अमर हो गए भारत मां के बलिदानी आजाद भगत सुखदेव गुरु थे वे राष्ट्र अभिमानी लक्ष्मीबाई से बापू तक योद्धा थे अनगिन महावीर देकर अपना लहू लिख... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 89 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 16 Feb 2024 · 1 min read मां नर्मदा प्रकटोत्सव माघ शुक्ल सप्तमी प्रकटोत्सव मां नर्मदा का प्रतिवर्ष होता यह महोत्सव मां नर्मदा का प्रकटी अमूरकोट से संग साथी सोन मुड़ा आप पश्चिम चलीं साथी पूर्व की ओर मुड़ा मध्य... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 607 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Feb 2024 · 1 min read बचपन निश्छल मन भोली बातें और आकर्षण चमत्कारी हर मां अपने बच्चों के ऐसे बचपन पर जाती वारी ओम दुख भूल जाती माँ सुन बच्चों की बातें प्यारी कपट,पाखंड, झूठ, सुख-दुःख... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 230 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Feb 2024 · 1 min read कुण्डलिया ऋतु छः होतीं भारत में , लो आनंद उठाय । गरमी वर्षा शरद ऋतु , तीन ऋतुएं सुभाय ।। तीन ऋतुएं सुभाय , हेमंत शिशिर औ बसंत । ऋतु अनुसार... Poetry Writing Challenge-2 · कुण्डलिया 1 123 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Feb 2024 · 1 min read ओम के दोहे रामलला की मंगल मूरत , मोहित सब नरनार । अवधपुरी में ओम सा , आनंदमयी संसार ।। उमड़ पड़ा सरयू तट पर , जनसैलाब अपार । दर्शन करने राम का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · दोहा 140 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Feb 2024 · 1 min read बसंत बहार बौरा गए आम गूंजी कोयल की मधुर तान सखी आ गयो बसंत चलन लगे मदन बान अली चुन रहे मकरंद बहे मधुर पवन मंद कवि रच रहे नए छंद पंछियों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 154 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Feb 2024 · 1 min read संस्कार मां से मिले संस्कार पिता से सब व्यवहार स्वर्ग बन जाए संसार जीवन में रहे सदाबहार सुसंस्कार सबको पसंद सभी मनाते रहें आनंद परिवार में ओम परमानंद प्यार का गुंजन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 123 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Feb 2024 · 1 min read आकाश से आगे नीला अंबर चांद सितारों से भरा आकाश से आगे अंतरिक्ष रहस्यों से भरा हमारा एक ब्रह्मांड ऐसे कई बड़े-बड़े ब्रह्मांड सदियों से खोज जारी पर मानव जान ना पाया ब्रह्मांड... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 193 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Feb 2024 · 1 min read सर सरिता सागर सर में भरपूर नीर उद्गमित हुई सरिता पर्वतों पर उछल कूद कर बनाती निर्झर सरिता मैदानों में घूम फिर कर मिलती सागर से ओम सरिता ओमप्रकाश भारती ओम् बालाघाट ,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 186 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Feb 2024 · 1 min read देश हमारा भारत देश हमारा प्राणों से भी प्यारा विजयी विश्व गुरु बन लगता सबसे न्यारा दिया दशमलव का ज्ञान अव्वल खेलकूद विज्ञान योग से स्वस्थ बने जग सारा ओम जग में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 250 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Feb 2024 · 1 min read राम आ गए अयोध्या में फिर से राम आ गए नैनों में छाई शीतलता राम आ गए अवधपुरी में नर-नारी ने दीप जलाए सरयू तट पर उमंगों के बजे बधाये सारी दुनिया हो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 166 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 12 Feb 2024 · 1 min read आज की बेटियां आज की बेटियों में हैं कुछ इस तरह जो माता-पिता का मान-सम्मान बढ़ाती हैं और कुछ ऐसी बेटियाँ भी हैं जो माता-पिता का मान-सम्मान घटाती हैं जीवन में उत्तम कार्य... Poetry Writing Challenge-2 107 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 6 Feb 2024 · 1 min read ऋतु परिवर्तन जब भी होता ऋतु परिवर्तन , हो जायें सावधान । ऋतु अनुसार अवश्य रखियेगा , अपना खानपान । शिशिर से बसंत पर जठराग्नि , अब होने लगती मंद । कहे... Poetry Writing Challenge-2 2 2 189 Share