Khajan Singh Nain Poetry Writing Challenge-2 33 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Khajan Singh Nain 16 Feb 2024 · 3 min read बैंकर कोर्ट के आहते में काफी देर से खड़ा था, डिपोजिट में हिस्सा मिलेगा या नहीं, उधेड़बुन में पड़ा था. बहुमुखी सेवा के कारण बैंकर होना खल रहा था, अपने बैंकिंग... Poetry Writing Challenge-2 95 Share Khajan Singh Nain 11 Feb 2024 · 1 min read भारत रत्न सम्मान सौदेबाजी में मांगा नहीं कमाया जाता है, वक्त आने पर पूर्वजों सा दम दिखाया जाता है। सम्मान अब वोट पाने के लिए बांटे जाने लगे हैं, प्रलोभन के टुकड़ों... Poetry Writing Challenge-2 1 98 Share Khajan Singh Nain 6 Feb 2024 · 1 min read गिरावट नीचे गिरते देख हर बार आयाम आखरी लगता है, कीर्तिमान ऊंचाइयों का ही नहीं गिरने का भी हो सकता है। हर गिरावट पर कीर्तिमान पहले का बिखरता है, आयाम और... Poetry Writing Challenge-2 132 Share Khajan Singh Nain 4 Feb 2024 · 2 min read सेवानिवृत्ति घाट-घाट का पानी और देखी जगह-जगह की मिट्टी, अनुभवों और अहसासों की शृंखला, कुछ खट्टी कुछ मिठ्ठी | बैंकर होना लगा कभी जैसे हो प्रतिभा बहुमुखी, बड़े प्रोजेक्ट्स का लागू... Poetry Writing Challenge-2 107 Share Khajan Singh Nain 2 Feb 2024 · 2 min read तरक्की मेरे दफ्तर से घर आते ही श्रीमती जी ने कही, अजी सुनते हो, शर्मा जी की तो हो गई. तुम्हारी पता नहीं कब होगी तरक्की ? शायद मैं ही हूँ... Poetry Writing Challenge-2 112 Share Khajan Singh Nain 2 Feb 2024 · 1 min read परिवर्तन घोर संकट में भी पता नहीं कैसे अभी बाक़ी विश्वास है, शायद इसी लिए कहा गया है कि जब तक साँस तब तक आस है जो बार-बार आशा की किरण... Poetry Writing Challenge-2 92 Share Khajan Singh Nain 1 Feb 2024 · 1 min read विकल्प एक महाशय पान की दुकान पर आये, इससे पहले कि दुकानदार पूछ पाए. फटाफट पान लगाने की कही, जिसे देख कर पान वाले की ‘कितने पान लगाऊं’ पूछने की हिम्मत... Poetry Writing Challenge-2 115 Share Khajan Singh Nain 1 Feb 2024 · 1 min read आवाहन इससे पहले कि न्याय ईतिहास की चीज बन जाये, अनजाने गर्तों में दफ़न जाये. अन्याय इसकी जगह ले ले, शोषण और ज्यादती घर-घर खेले. थाम दो वक्त की धारा को,... Poetry Writing Challenge-2 93 Share Khajan Singh Nain 30 Jan 2024 · 1 min read अंतर ये हसरत भरी निगाहें निहार रही हैं ऊँचाइयों पर ठहरे ऐशो-आराम को, वहां पर पहुँचने और ठहरने के लिए सीढी बनाया है जिसने हमारे श्रम और काम को. क्या हमारी... Poetry Writing Challenge-2 1 153 Share Khajan Singh Nain 30 Jan 2024 · 1 min read लड़ाई छल और हल की मसला किसान समस्याओं के हल का है, और मुक़ाबला ‘हल’ और ‘छल’ का है। ‘छल’ की सीधी कोई चाल नहीं होती, ‘छल’ की उम्र लम्बी हरहाल नहीं होती। छलिया अपनी... Poetry Writing Challenge-2 80 Share Khajan Singh Nain 30 Jan 2024 · 1 min read हत्या, आत्महत्या, सियासत कहीं आत्महत्या भी रहती है सुर्ख़ियों में, और कहीं हत्या गुम हो जाती बेरुखियों में। सुविधा देखी जाती कि हत्या या आत्महत्या है, सियासत भी होती की आत्महत्या नहीं ये... Poetry Writing Challenge-2 88 Share Khajan Singh Nain 30 Jan 2024 · 1 min read सम्प्रेषण मैंने जब साहब की अमुक सफलता पर मिस्टर ‘च’ को बधाई दी, तो बात मेरे दोस्त के गले नहीं उतरी. बोले सफलता तो साहब ने हासिल की, और बधाई आप... Poetry Writing Challenge-2 64 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 1 min read बस बाकी रहगे यादयाँ में हुक्के पे कट्ठा भाईचारा दाल चाट ने चूल्हा हारा किसान ने पाणि का झारा बस बाक़ी रहगे यादयाँ में कोल्हू पे गुड़ और शक्कर दो झोटयाँ की खुली टक्कर हाल्ली... Poetry Writing Challenge-2 86 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 2 min read महामारी दुनिया जिससे सकते में, वो कोरोना नई बीमारी है, देखते देखते बन गई ये एक विश्वव्यापी महामारी है । सहायता और सहयोग का जज्बा बढ़ जाता ऐसे दौर में, हौसला,... Poetry Writing Challenge-2 70 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 1 min read वक्त यह भी गुजर जाएगा वक्त आया है बहुत बुरा, बेईमान हुआ है एक दूसरा। वक्त ये भी गुजर जाएगा, आपदा को भी चर जाएगा। विपदा से गुजरने का प्रबंध करो, आपस में लड़ना बंद... Poetry Writing Challenge-2 69 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 1 min read कोरोना आपदा कोरोना क़हर बन टूटा है, मानव का सर्वज्ञ होना झूठा है। चारों तरफ़ हाय हाय है, साधनसंपन्न देश भी असहाय हैं। दुनिया विपदा में पड़ी है, मानवता के लिए मुश्किल... Poetry Writing Challenge-2 74 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 1 min read राजनीति गर्त की ओर शर्म की बात जब गर्व बन जाये, मूल्यों की राजनीति गर्तों में दफन जाए तो समझो राजनीति गर्त की ओर अग्रसर है । लक्ष्य जब पलटने का कीर्तिमान बनाना हो... Poetry Writing Challenge-2 2 91 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 2 min read वस्तुस्थिति सच्चाई घटते घटते दम तोड़ने के हालत में है, झूठ और फरेब ईन्सान की बात बात में है. झूठ बोलने में कितना आत्मविश्वास है, धोखा धड़ी और फरेब के लिए... Poetry Writing Challenge-2 37 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 1 min read हड़ताल एवं बंद यही तो है हड़ताल एवं बंद की दृश्यावली, नाल वाले बूटों से कुचली कली. कणों में बिखरे फूल, आग, पत्थर,मिटटी और धूल. घायल एवं सिसकते तडपते ईन्सान, टूटते सीसे जलती... Poetry Writing Challenge-2 48 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 1 min read उलझन मम्मी, पापा और गुरु, मौका मिलते ही हो जाते हैं शुरू. छात्रों के हिस्से में शिक्षा ग्रहण करना है आता, राजनिती से नहीं उनका दूर का नाता. यदि पूरा ध्यान... Poetry Writing Challenge-2 64 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 1 min read भूल पति की दार्शनिक मुद्रा और पत्नी की कारण जानने की लगन, बोली – नाथ ! बुझे से बैठे हो चिंता मग्न. पति बोला – चिंता ही की तो बात है... Poetry Writing Challenge-2 66 Share Khajan Singh Nain 28 Jan 2024 · 1 min read विरोधाभाष आपके हमारे सबके आसपास, समझ के परे हैं जीवन के विरोधाभाष. जहाँ अभिव्यक्ति आवश्यक है वहाँ चुपी साध जाना, मौन की जगह बडबडाना. ख्याली दुनिया में नायकी का भूत सवार,... Poetry Writing Challenge-2 113 Share Khajan Singh Nain 28 Jan 2024 · 1 min read पाषाण और इंसान पत्थर ने मानव को कंदराओं में शरण दी है, मानव की प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा की है । कभी हथियार बन जंगली जानवरों से बचाया, साया बन गर्मी, सर्दी, धूप... Poetry Writing Challenge-2 41 Share Khajan Singh Nain 27 Jan 2024 · 1 min read प्राण प्रतिष्ठा जिस दौर में आत्मा मरती जा रही हो इंसान में, यह कैसा प्राण डालने का दावा है पाषाण में । पाषाण में जान और इंसान आज मुर्दा है, मानव तो... Poetry Writing Challenge-2 118 Share Khajan Singh Nain 25 Jan 2024 · 1 min read राजनैतिक स्वार्थ जनसेवा नहीं राजनीति व्यवसाय हो गई है, मूल्यों की राजनीति विलुप्त प्राय हो गई है । नैतिकता दूर दूर तक नहीं रही, स्वार्थपूर्ति ही एकमात्र ध्येय हो गई । अपने... Poetry Writing Challenge-2 62 Share Khajan Singh Nain 25 Jan 2024 · 1 min read समझदार मतदाता वोटर समझदार है कह कर फुसलाते हैं, बस ऐसे मतदान के दिन बेवकूफ बनाते हैं । कराते हैं एकदिन प्रलोभन और गर्व का एहसास, कि वोट के अधिकार की ताकत... Poetry Writing Challenge-2 66 Share Khajan Singh Nain 24 Jan 2024 · 1 min read समरसता दूसरों का चरित्र हनन और मान मर्दन मर्यादाहीन हो करने को विरोधी का दमन । कोई जब शब्दों को तोड़ता-मरोड़ता है शब्दों में कुछ जोड़ता और कुछ छोड़ता है ।... Poetry Writing Challenge-2 40 Share Khajan Singh Nain 24 Jan 2024 · 1 min read जब-जब परिस्थिति जब खड़ी विषम हो, और अन्याय के संग भीष्म हो । अधर्म संग द्रोण खड़े हों, धर्म अधर्म के बने धड़े हों । अधर्मियों की भीड़ खड़ी हो, हक... Poetry Writing Challenge-2 80 Share Khajan Singh Nain 24 Jan 2024 · 1 min read एक शख्सियत गुलिस्तां में हर शाख पर उल्लू नज़र आता है, जब विनाश को ही विकास बताया जाता है । जब जब मुंडेर पर बोल रही कोतरी होती है, तो हर क्षेत्र... Poetry Writing Challenge-2 64 Share Khajan Singh Nain 24 Jan 2024 · 1 min read कानून अपना काम करेगा कि बात अपने तक ही रखना आगे मत कहना, आजकल हर बात में पड़ता है सावधान रहना। जब छुपा कर बात करनी होती हैं अक्सर, तो धीरे से कहा जाता... Poetry Writing Challenge-2 64 Share Khajan Singh Nain 24 Jan 2024 · 1 min read जुमले हर बार ऐसा शब्दजाल बिछाया है , एक ही शब्द हर बार नए रूप में आया है। अब तो सब लोग खुशियां मनाएंगे , क्योंकि हम हरहाल में अच्छे दिन... Poetry Writing Challenge-2 45 Share Khajan Singh Nain 23 Jan 2024 · 1 min read मणिपुर और सियासत शब्द भी डरने लगे हैं हालात बयां करने से, उन्हें फर्क कुछ पड़ता नहीं मानवता के मरने से । शर्म, हया, अनैतिकता के मायने खो गए अब, गिरावट की परिभाषा... Poetry Writing Challenge-2 121 Share Khajan Singh Nain 23 Jan 2024 · 1 min read मणिपुर की वेदना बेजार रो रहा है देश महसूस कर मणिपुर की वेदना, पर 'उनको' महसूस नहीं होता, खो चुके हैं संवेदना । बस्ती के साथ मानवता भी जल रही है, सत्ता की... Poetry Writing Challenge-2 74 Share