Sanjay ' शून्य' Poetry Writing Challenge-2 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sanjay ' शून्य' 13 Feb 2024 · 1 min read सूरत बदलेगी तेरी सूरत, खुद के संवारने से। ख़ाक न बदलेगा, यूं सेखी बघारने से।। काम करो खुदपर, छोड़ो फिजूल बातें। दिनरात एक कर दो, जबतक बने न बातें।। यदि बात... Poetry Writing Challenge-2 1 72 Share Sanjay ' शून्य' 11 Feb 2024 · 1 min read Farishte तुम्हें रोशन करूं कैसे, खुद को कितना जलाऊं मैं, ज़रा तूही बता कैसे, ज़मी पे चांद लाऊं मैं। तेरी बेरहम ख्वाइश को, है मैने लहू से सींचा। तुझे अपना समझने... Poetry Writing Challenge-2 1 98 Share Sanjay ' शून्य' 10 Feb 2024 · 1 min read दान किसे हिंदू वीरों, मत दौड़ो तुम महावीर बन , बौने नेताओ के पीछे। उनका मकसद धन बटोरना, तुमको रखना है पीछे।। त्याग तपस्या नहीं पास कुछ, बन बैठे कैसे ये नेता।... Poetry Writing Challenge-2 2 111 Share Sanjay ' शून्य' 9 Feb 2024 · 1 min read आएंगे तो मोदी ही बिरले होते हैं पूत यहां, जो इस मां का कर्ज चुकाते है। ज्यादा तर चोर उचक्के तो चोरी कर घर ही चलाते हैं।। जो किया समर्पित जीवन को,आठ पहर बस... Poetry Writing Challenge-2 1 129 Share Sanjay ' शून्य' 7 Feb 2024 · 1 min read फकीरी मुझे नाराज़ करने का अलग अंदाज़ है उनका, करूं बाते जो पूरब की तो पश्चिम जोड़ देते हैं। गज़ब है नज़रिया उनका आवारापन को ले करके, फरिश्ता कह उन्हें रूहानियत... Poetry Writing Challenge-2 2 116 Share Sanjay ' शून्य' 6 Feb 2024 · 1 min read वो और राजनीति लठैत बुलाए थे बकैत के लिए, धरना सजाया था टिकैत के लिए। काम नहीं आया पंजाब भी गया, क्या करूं मैं वोट के डकैत के लिए।। मेरे उठाए मुद्दे सब... Poetry Writing Challenge-2 1 224 Share Sanjay ' शून्य' 30 Jan 2024 · 1 min read आदतें आदतें झूठ की चादर जो मोटी ओढ़ ली, शर्म की सर्दी भला फिर क्या करेगी। जो जलाया घर का चूल्हा जलन से, दया की दरिया भी उसका क्या करेगी।। प्रेम... Poetry Writing Challenge-2 1 118 Share Sanjay ' शून्य' 28 Jan 2024 · 1 min read पलटूराम में भी राम है राम प्रियोंं के पाले में फिर पलटे पलटूराम। है कृपा प्रभुराम की हुए सकल सुख धाम।। जो लोग नहीं पहुंचे राम की प्राण प्रतिष्ठा में। देखो खलल पड़ गई उनकी... Poetry Writing Challenge-2 1 238 Share Sanjay ' शून्य' 27 Jan 2024 · 1 min read राम भजे राम भजे तुलसी हुए, जग में तुलसीदास। रामनाम को ओढ़कर, बापू बने मोहनदास।। भक्ति काल के कवि सभी, पाए सबसे मान। कबीर रहीम या मलिक, चाहे हो रसखान।। रामनाम से... Poetry Writing Challenge-2 1 53 Share Sanjay ' शून्य' 25 Jan 2024 · 1 min read बचपन अपना अपना खांची में गोबर के कुछ छोत लिए हम सो कर उठते थे। फिसलन भरे रास्तों से ही तो हम अपने खेत पहुंचते थे।। भोजन के खातिर केवल खेत और खेत... Poetry Writing Challenge-2 1 121 Share