दीपक झा रुद्रा Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दीपक झा रुद्रा 21 Feb 2024 · 1 min read तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा। तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा। सिर्फ़ तेरे वास्ते तैयार अपना दिल रखा। एक कवि वैराग्य को ऐसे दिखाया है यहांँ। इश्क़ की बुनियाद पर आपको मंज़िल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 73 Share दीपक झा रुद्रा 20 Feb 2024 · 1 min read तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा और तुमसे जो मिली है ,वो व्यथा सहता रहूंँगा। इंद्रधनुषी रंग के, तुम तो हो अवयव कदाचित.... व्योम के मस्तक की... Poetry Writing Challenge-2 · गीत · प्रेम 1 132 Share दीपक झा रुद्रा 6 Feb 2024 · 1 min read हमनवा हमनवा 212 212 212 212 इक तुम्हीं थे मेरे हमनवा हमनवा... बाकी जीवन में क्या ही बचा हमनवा। आंँख भर देखता मैं तुम्हें ही तो था.... तुमने सोचा नहीं मेरे उल्फत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 83 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read अंतर्मन में खामोशी है एक गीत आपके हवाले!! अंतर्मन में ख़ामोशी है ऊपर ऊपर क्या बोलूंँ? तेरा सच है ज्ञात सभी को तुझको पत्थर क्या बोलूंँ? उमस भरा मन के आंँगन में, तुलसी तुम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 107 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे.... सत्य की राहों पे गिरती बिजलियोंँ को देखकर आती नई मधुमास गाओ। मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे। और तुम कहते हो मधुरिम गान गाओ। पुण्य कर्मों का ये... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 116 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read जो कहना है,मुंह पर कह लो मैं क्या हूं? अंबर की चाहत! फिर तू क्या है ? मेरी चाहत दुनियांँ का सच? शैतानी है! तेरा क्या है?मैं हूंँ केवल बाक़ी दुनियां?इक धोखा है! जो है दिल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 108 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read गीत पिरोते जाते हैं प्यारी आंखों के सपने जब टूटे हों तब मासूम से दिल भी रोते जाते हैं आंँखों से जो गिरी अश्क की कुछ बूंदें हम शायर हैं गीत पिरोते जाते हैं।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 87 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 4 min read विरह योग चांँद अपना जिसने छोड़ा इस गगन में। प्रश्न है उस प्रेमी के मन के अंँगन में। प्रेम अनैतिक हुआ अवधारणा क्यूंँ? प्रेम से उच्छल हृदय में साधना क्यूंँ? प्रश्न है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 110 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है। हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है। और सुखों की, आस लिए जुगनू केवल पछताता है। जब दीप बुझे दोषारोपित होने लगती है मंद पवन। किंतु... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 41 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं? धस रही धरा तल से प्रतिपल,फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं? अंतश है धुंध से आच्छादित,कैसे अब दीप जलाऊंँ मैं! नव कुंज सा खिलता प्रश्न दिखा, उत्तर क्यों है कोलाहल में?... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 62 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read सच दुनियांँ को बोल नहीं निश्छल मन का है मोल नहीं,लेकिन वो मन बेमोल नहीं। कुदरत को प्यारा निश्छल मन,मानुष का सच तो बोल नहीं। ये कनक सोहती है उसको,जो पड़े गरलता के पीछे। उनका... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 50 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read अभिशाप मैं गलत हर वक्त हूंँ विध्वंस में और वास में। मैं सही न हो सका इस काल के अट्टहास में। जाइए अब आप तो मुझको अकेला छोड़कर। माफ करिएगा कि... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 43 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read उर से तुमको दूंँ निर्वासन। अक्सर आंँसू ने धोखा से छोड़ा नयन का व्योम अकिंचन। घटना है, प्रयास अथक है, मन से तुमको दूंँ निर्वासन। फूल सरीखा दिल है मेरा तुम कहते हो पत्थर होने।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 55 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read छलावा बन गई दुल्हन की किसी की मुहब्बत का जनाजा उठ रहा है... छलावा बन गई दुल्हन की किसी की। यहांँ पर रूह ही बिखरा पड़ा है तुम्हें परवाह है बस ज़िंदगी की। शहर में आज ठंडक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 76 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read अभिषापित प्रेम मैं अभिषापित प्रेम के भाषा का गायक मैं संयोजित व्यथा पंथ का इक नायक मैं गाऊंगा करुण रूदन क्रंदन भंजन अपमानित गुंजन दर्पण का अपवर्तन रम्य विलासित यौवन तुम्हें बधाई... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 48 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read उम्र भर इस प्रेम में मैं बस तुम्हारा स्वप्न पाऊंँ इस हृदय का भाव गर,तुझको नहीं स्वीकार प्रियतम... तो भला मैं स्वयं से कैसे कहो नज़रें मिलाऊँ। ज्ञात है गंतव्य पर हो चुका अधिकार किसका, हूं प्रतीक्षारत तुम्हारा,उम्रभर ठहरा रहूंँगा।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 111 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read चलिए देखेंगे सपने समय देखकर दिन की आशा तुम्हीं, तुम्हीं ही उल्फत ए शब जुगनुएंँ जी रहे हैं तुम्हें देखकर। किसके सूरत में बसता है ये चांँद और अपनी किरदार बोलो जरा सोचकर। बन के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · कविता/गीतिका 105 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read क्योंँ छोड़कर गए हो! 2212 122 ,2212 122 तुमसे गिला नही है, मुंँह मोड़कर गए हो। खुद से ही पूछता हूंँ, क्योंँ छोड़कर गए हो। बिखरे हुए थे कब के, मलबा है दिल में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 34 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read तुम दरिया हो पार लगाओ जीवन की जर्जर कश्ती है,तुम दरिया हो पार लगाओ... दिल के बचैनी मौसम में , फूलों की बौछार लगाओ। जीवन की जर्जर कश्ती है..... बहुत अचंभित मैं होता हूंँ,सुन अश्रव्य... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रेम गीत 113 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read एक तुम ही थे हमारे एक तुम ही थे हमारे किस सपन की बात करता। नेत्र के अंँधेर नगरी में मैं कैसे रश्मि भरता। बाक़ी कुछ मैं क्या बताऊंँ रोऊंँ या चिखूंँ चिल्लाऊंँ मन में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत · नई वाली हिंदी · प्रेम गीत 86 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read द्वंद मन मृदुल भाव का घोतक था,जिसको दुनियां ने छला बहुत। माना दीपक बुझ गया किंतु,संघर्ष पंथ पर जला बहुत। जीवन ने अवसर दिया नहीं,किस्मत से अक्सर हारा मैं। मेहनत में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 77 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read पीड़ाओं के संदर्भ पीड़ाओं के संदर्भों में, रिश्तों का खेल अनोखा है। है व्यथित हृदय,क्या मौन रहूंँ?या कह दूंँ सब कुछ धोखा है। धोखा है दिनकर का दिन भी,धोखा है चांँदनी रातें भी।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 75 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read विरह पीड़ा है विरह की पीर करुणा स्याही बनकर गीत लिख दो जिसमें मेरी हार हो उसमें उनकी जीत लिख दो भावनाएंँ अब विखंडित हो रही मेरे हृदय में जिसमें स्नेहिल चिर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 54 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read कहांँ गए वो भाव अमर उद्घोषों की? शीर्षक आज मेरी कविताएं मुझसे पूछ रही. आज मेरी कविताएं मुझसे पूछ रही... कहां गए वो भाव अमर उद्घोषों की। जहां व्यथाएं स्वर्णिम अक्षर होती थी... जहां चेतना व्योमी उर्ध्वर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 69 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read स्वीकार्य व्योम में दिखता विकृति नेत्र से गिरता लहू है चांँद की मोहक छवि से तुम भले बादल हुए हो। उत्सवों की रश्मियों से है प्रकाशित यह नगर, पर मेरे मन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 50 Share