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तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा।
दीपक झा रुद्रा
तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा
दीपक झा रुद्रा
हमनवा हमनवा
दीपक झा रुद्रा
अंतर्मन में खामोशी है
दीपक झा रुद्रा
मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे....
दीपक झा रुद्रा
जो कहना है,मुंह पर कह लो
दीपक झा रुद्रा
गीत पिरोते जाते हैं
दीपक झा रुद्रा
विरह योग
दीपक झा रुद्रा
हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है।
दीपक झा रुद्रा
फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं?
दीपक झा रुद्रा
सच दुनियांँ को बोल नहीं
दीपक झा रुद्रा
अभिशाप
दीपक झा रुद्रा
उर से तुमको दूंँ निर्वासन।
दीपक झा रुद्रा
छलावा बन गई दुल्हन की किसी की
दीपक झा रुद्रा
अभिषापित प्रेम
दीपक झा रुद्रा
उम्र भर इस प्रेम में मैं बस तुम्हारा स्वप्न पाऊंँ
दीपक झा रुद्रा
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
दीपक झा रुद्रा
क्योंँ छोड़कर गए हो!
दीपक झा रुद्रा
तुम दरिया हो पार लगाओ
दीपक झा रुद्रा
एक तुम ही थे हमारे
दीपक झा रुद्रा
द्वंद
दीपक झा रुद्रा
पीड़ाओं के संदर्भ
दीपक झा रुद्रा
विरह पीड़ा
दीपक झा रुद्रा
कहांँ गए वो भाव अमर उद्घोषों की?
दीपक झा रुद्रा
स्वीकार्य
दीपक झा रुद्रा