Atul "Krishn" Poetry Writing Challenge-2 27 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Atul "Krishn" 13 Mar 2024 · 1 min read वो ऊनी मफलर सर्दी के हैं ये कुछ महीने कस्तूरी की खुश्बू , मेरे साथ होती है पूछते हैं कुछ लोग, कुछ अटकलों में रहते हैं उलझे- उलझे उन्हें क्या पता है वो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 204 Share Atul "Krishn" 11 Feb 2024 · 1 min read मेरा शहर कहीं ग़ुम हो गया है तपाक से गले से लगने वाले अब तो नज़रें भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं इस ख़ौफ़ के सन्नाटे में - मेरा शहर कहीं ग़ुम हो गया है बदलते वख़्त के... Poetry Writing Challenge-2 142 Share Atul "Krishn" 11 Feb 2024 · 1 min read समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है जीवन और मृत्यु आज और कल समय के सिक्के का हेड और टेल ही तो है आज हेड है सामने ग़र टेल में है “दो कल” छुपे हुए पर मशगूल... Poetry Writing Challenge-2 84 Share Atul "Krishn" 11 Feb 2024 · 1 min read दरिंदगी के ग़ुबार में अज़ीज़ किश्तों में नज़र आते हैं धमाकों से फैली इस धुँध में वो सर्दियों सी ठंडक नहीं होती ज़िस्म और ज़ेहन - सभी जल जाते हैं दस्तानों की ज़रूरत नहीं होती इस धुँध के छटनें पर... Poetry Writing Challenge-2 62 Share Atul "Krishn" 10 Feb 2024 · 1 min read तलाशता हूँ उस "प्रणय यात्रा" के निशाँ बेखयाली में अभी भी सागर की उस नरम रेत पर आज भी जाता ही हूँ तलाशने तुम्हारे पैरों के निशाँ सालों पहले जिन्हे बस अठखलियों में ही अल्हड़ लहरों ने... Poetry Writing Challenge-2 99 Share Atul "Krishn" 10 Feb 2024 · 1 min read हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर सब नियत है आना इस जहां में अकस्मात् नहीं है एक बीज - एक फूल के है मानिंद हर शख़्स का मुक़द्दर पहले से तयशुदा है कुछ बीज - पेड़... Poetry Writing Challenge-2 154 Share Atul "Krishn" 10 Feb 2024 · 1 min read क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन क्यों अटकता है मन हर पुरानी याद में कभी फाग के राग में क्यों हो जाता है मगन होली... Poetry Writing Challenge-2 176 Share Atul "Krishn" 10 Feb 2024 · 1 min read आफ़ताब हर शाम आफ़ताब जब जमीं को है चूमता वो फ़लक़ से शर्म से सुर्ख़ होता है तब शफक़ कुछ देर की ही बात है ओढ़ कर सुनहरा सा दुपट्टा दरिया... Poetry Writing Challenge-2 139 Share Atul "Krishn" 10 Feb 2024 · 1 min read हवेली का दर्द हवेली का दर्द है कर वीरान हवेली को जब अपने ही छोड़ जाते हैं बहुत करीब से देखा है इन हवेलियों को दर्द से कराहते हुए वक्त की झुर्रियों से... Poetry Writing Challenge-2 173 Share Atul "Krishn" 9 Feb 2024 · 1 min read खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं जिंदगी ग़र एक घर है रिश्ते हैं खिड़कियाँ कुछ खुलीं हैं अब भी कुछ बरसों से बंद हैं कुछ की लकड़ियाँ हैं पुरानी कुछ हैं अभी नयीं कुछ चरमरा रहीं... Poetry Writing Challenge-2 156 Share Atul "Krishn" 9 Feb 2024 · 1 min read पूस की रात पूस की रात और कड़कती सर्दी शमशीर समीर की खेत के बीच की अलाव चीरती हाड़ तक सिहराती है उम्मीद की गर्मी का ये कम्बल और कुरेद आग अलाव की... Poetry Writing Challenge-2 144 Share Atul "Krishn" 9 Feb 2024 · 1 min read ये दिल यादों का दलदल है ये दिल के चार दल यादों का एक दलदल है कुछ ख़ुशी गर है छुपी तो ये ग़म ज़दा भी है दर्द धड़कता है कुछ इस क़दर रखता है रक्तरंजित... Poetry Writing Challenge-2 123 Share Atul "Krishn" 9 Feb 2024 · 1 min read अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में लगता है कल रात सर्दी कुछ ज्यादा थी नींद ना जाने कहाँ ग़ुम थी क़तरा क़तरा वक़्त चुपचाप गुज़र गया बूँद... Poetry Writing Challenge-2 109 Share Atul "Krishn" 9 Feb 2024 · 1 min read यादों के अथाह में विष है , तो अमृत भी है छुपी हुई यादों के अथाह में विष है , तो अमृत भी है छुपी हुई कौन कौन , कब - कब और किसने - तो कुछ ने आँखों से ही अनकही -... Poetry Writing Challenge-2 213 Share Atul "Krishn" 9 Feb 2024 · 1 min read यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी जब कभी - सर्दी में बारिश हुई कुछ बूंदों की फुहार ने ज्यूँ ही चेहरे को छुआ ना जाने क्यूँ फिर... Poetry Writing Challenge-2 178 Share Atul "Krishn" 9 Feb 2024 · 1 min read अम्माँ मेरी संसृति - क्षितिज हमारे बाबूजी अम्माँ मेरी संसृति - क्षितिज हमारे बाबूजी काश आज अगर जो अम्माँ होती होते मेरे बाबूजी पैरों को उनके फिर गह लेते अम्माँ जहाँ थी ममता का सागर बाबूजी संबल... Poetry Writing Challenge-2 86 Share Atul "Krishn" 9 Feb 2024 · 1 min read अगर "स्टैच्यू" कह के रोक लेते समय को ........ अगर "स्टैच्यू" कह के रोक लेते समय को, तो आज तन यहां और मन वहाँ दौड़ता ना होता यूँ ही - यहीं बैठे बैठे कभी कभी अपने ही पुश्तैनी घर... Poetry Writing Challenge-2 118 Share Atul "Krishn" 9 Feb 2024 · 1 min read समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है जीवन और मृत्यु आज और कल समय के सिक्के का हेड और टेल ही तो है आज हेड है सामने... Poetry Writing Challenge-2 114 Share Atul "Krishn" 8 Feb 2024 · 1 min read बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है बस ये फेर है नज़र का काँटों के बीच है रहती हर कली की ये एक अपनी... Poetry Writing Challenge-2 126 Share Atul "Krishn" 8 Feb 2024 · 1 min read एक साक्षात्कार - चाँद के साथ एक साक्षात्कार - चाँद के साथ पूछा हमने चाँद से - कुछ सीधा सीधा सवाल क्यों आसमान नहीं होता रोशन - जब तुम आते हो ? क्यों झपका – झपका... Poetry Writing Challenge-2 1 2 105 Share Atul "Krishn" 6 Feb 2024 · 1 min read बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए -------------- पांच तत्व का ये शरीर पाँचों गुण छुपाये लहू तरल है - स्वांस है वायु जठराग्नि - आग समेटे... Poetry Writing Challenge-2 103 Share Atul "Krishn" 6 Feb 2024 · 1 min read आँखें उदास हैं - बस समय के पूर्णाअस्त की राह ही देखतीं हैं हाथों की झुर्रियां आँखों का सूनापन अपनों से या अपनों का दर्द खामोशी से बताती हैं समय की लकीरें ललाट और चेहरे पे आती हैं मुस्कुराने की कोशिश में लकीरें... Poetry Writing Challenge-2 229 Share Atul "Krishn" 6 Feb 2024 · 1 min read ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं ये होठ मेरे सूखे नहीं रिसते लहू की है परत बस अंत की बाट जोहती आंखों में समुन्दर ना देख ये... Poetry Writing Challenge-2 170 Share Atul "Krishn" 6 Feb 2024 · 1 min read "रंग भले ही स्याह हो" मेरी पंक्तियों का - अपने रंग तो तुम घोलते हो जब पढ़ते हो मेरी पंक्तियों का "रंग भले ही स्याह हो" - रंग तो अपने तुम घोलते हो जब पढ़ते हो अपने ही कुछ छुपे रंगों से खुद से परिचित कराते हो हमने... Poetry Writing Challenge-2 131 Share Atul "Krishn" 6 Feb 2024 · 2 min read कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें वख्त बे वख्त - कुछ आज की बातें , कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती हुई बातों से गुजरा समय छू जाता है तब जुबाँ खामोश... Poetry Writing Challenge-2 175 Share Atul "Krishn" 6 Feb 2024 · 1 min read हॉर्न ज़रा धीरे बजा रे पगले ....देश अभी भी सोया है* "हॉर्न ज़रा धीरे बजा रे पगले .... देश अभी भी सोया है ....." ( भ्रष्ट ) नेता हों या (मौक़ापरस्त) कथाकार हो या हों ख़बर नवीस अलगाव के अलाव को... Poetry Writing Challenge-2 36 Share Atul "Krishn" 5 Feb 2024 · 1 min read सुबह होने को है साहब - सोने का टाइम हो रहा है सुबह होने को है साहब - सोने का टाइम हो रहा है ( Challenge Poem #2 ) देर रात - तक जब नींद नहीं आती चुपचाप टेरेस में बैठ दूर... Poetry Writing Challenge-2 142 Share