Satish Srijan "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Satish Srijan 2 Jul 2023 · 1 min read फितरत से बहुत दूर रिश्ते रिसते जा रहे हैं, जाने कैसे पिसते जा रहे हैं। अनपढ़ लोग संभाल कर रखते थे, आज अक्लमंदों से घिसते जा रहें हैं। सोचता हूँ कभी... अपनों से मुलाकात... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 116 Share Satish Srijan 2 Jul 2023 · 1 min read फितरत न कभी सीखा पिछली सदी का शख्स मैं शराफत में जिया हूँ। दिल से निभाया मैंने वायदा जो किया हूँ। सबको गले लगाते, वाजिब हर बात मानी। फितरत न कभी सीखा, सादी थी... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता 2 2 230 Share