सतीश पाण्डेय "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सतीश पाण्डेय 2 Jul 2023 · 1 min read अपनी अपनी फितरत मकड़ी और आदमी दोनों बुनते हैं जाल एक गंदगी में अपने को सुरक्षित रखते हुए, दोषों को ढकते हुए कुचक्र ,कपट, की करामाती कपास के धागे पर आदमी मकड़ी से... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता 2 136 Share सतीश पाण्डेय 2 Jul 2023 · 1 min read फितरत फितरत खेत में खड़े बिजूकों से कोई नहीं डरता ,, पशु पक्षी मन ही मन हंसी उड़ाते हैं ;; परिंदे तो उनके सर पर बैठकर बीट करते हैं और व्यंग... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता 2 121 Share