Amit Pathak "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Amit Pathak 11 Jul 2023 · 1 min read जिंदगी की फितरत है शाश्वत कुछ नहीं जग में सबकुछ बदलना पड़ता है कभी तेज दौड़नी होती है रेस कभी देर तक ठहरना पड़ता है कभी बड़े अरमान से करते है कुछ कभी... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 1 165 Share Amit Pathak 11 Jul 2023 · 1 min read दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देखकर अपने शरीर पर यूँ घाव घाव देखकर अपने भी वैरी होते हैं मुझको न कोई ज्ञान था हमने तो आपको दिया बस... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 1 191 Share