Shalini Mishra Tiwari Poetry Writing Challenge 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shalini Mishra Tiwari 14 Jun 2023 · 1 min read अस्तित्व शीर्षक- अस्तित्व खो गई हूँ, कहीं वक़्त के गर्त में, है क्या अस्तित्व मेरा, कहाँ थी जड़े मेरी, कहाँ तरु पनपा है। मैं - मैं नहीं हूँ, कौन हूँ मैं,... Poetry Writing Challenge · कविता 3 378 Share Shalini Mishra Tiwari 14 Jun 2023 · 1 min read धरती की गोद में धरती की गोद में, समाया सारा संसार। जीवनदात्री तू है सबकी, उठाया जग का भार।। तेरी गोद में खेले, कल-कल करती नदियाँ। वक्ष पर तेरे बनी, जाने कितनी पगडंडियाँ।। ऊँचा... Poetry Writing Challenge · कविता 1 208 Share Shalini Mishra Tiwari 14 Jun 2023 · 1 min read मालूम नहीं मालूम नहीं कटी पतंग का दशा न दिशा कटी कब डोर पता नहीं भटक रही है जाने कबसे मालूम नहीं। वेगशून्य अस्थिर शून्य में न ओर-छोर था गुमान की बंधी... Poetry Writing Challenge · कविता 1 319 Share Shalini Mishra Tiwari 12 Jun 2023 · 1 min read मंजूर था 1- शीर्षक- मंजूर था पतझड़ में पत्तों का झर जाना शायद यही मंजूर था। खो के अस्तित्व खुद में सिमट जाना शायद यही मंजूर था। कभी जो सजते थे शाखों... Poetry Writing Challenge · कविता 2 2 147 Share Shalini Mishra Tiwari 12 Jun 2023 · 1 min read मन की दूरी मन से है क्यूँ मन की दूरी, संग हूँ पर है क्या मज़बूरी। रह गए अनकहे कितने प्रश्न, होगी कब मेरी साध ये पूरी। नित भावों का घिर-घिर जाना, उमड़-घुमड़... Poetry Writing Challenge · कविता 1 128 Share Shalini Mishra Tiwari 12 Jun 2023 · 1 min read मसरूफ़ मसरूफ इस कदर है वो वक़्त खैरियत का भी नहीं ये दिल्लगी अच्छी भी है और नागवार भी।। चंद रोज़ हैं ज़िन्दगी के क्या उन्हें पता नहीं अनजान बनना ठीक... Poetry Writing Challenge · कविता 151 Share Shalini Mishra Tiwari 12 Jun 2023 · 1 min read रात ने खबर दी है रात ने खबर दी है बहुत हो चुकी है भागमभाग दिन भर की आओ मेरे आगोश में खो जाओ भुला दो तपन दिन की सो जाओ सुकूँ की नींद छुपा... Poetry Writing Challenge · कविता 1 83 Share Shalini Mishra Tiwari 12 Jun 2023 · 1 min read नदी की आत्मकथा शीर्षक -नदी की आत्मकथा मैं नदी हूँ। मैं निरन्तर चलती हूँ। प्रस्तरों से,कंटको से, पथरीली धरा पर, बहती हूँ। मैं नदी हूँ। मेरे अनेकानेक नाम हैं। किसी ने गंगा कहा,... Poetry Writing Challenge · कविता 1 276 Share Shalini Mishra Tiwari 12 Jun 2023 · 1 min read वेदना अंतर में कब से घुले हो या अंतर ही बना है तुझसे क्यों बिना बताए यूँ तुम छुपे रहते हो क्यों नहीं जाते निकल कर मेरे अंतर से वेधते रहते... Poetry Writing Challenge · कविता 1 108 Share Shalini Mishra Tiwari 12 Jun 2023 · 1 min read अंतर में तुम अंतर में कब से घुले हो या अंतर ही बना है तुझसे क्यों बिना बताए यूँ तुम छुपे रहते हो क्यों नहीं जाते निकल कर मेरे अंतर से वेधते रहते... Poetry Writing Challenge · कविता 1 116 Share Shalini Mishra Tiwari 12 Jun 2023 · 1 min read अस्तित्व मेरा होना न होना एक जैसा होने में न होने का एहसास फिर भी चलती है जिंदगी निर्बाध किसी अनदेखे मुकाम की तरफ मालूम है है कुछ भी नहीं मिलेगा... Poetry Writing Challenge · कविता 1 103 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read भटकता मन का पँछी शीर्षक- भटकता मन का पँछी नित दिन जाने कितनी करता है दूरी तय कहाँ कहाँ से आ जाता है घूम के देख आता है कितनी मुश्किलें कितनी दुश्वारियाँ परेशानियाँ फिर... Poetry Writing Challenge · कविता 1 207 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read याद आयी शीर्षक - याद आयी याद आयी आपकी हमें बार-बार, अश्क़ झरे आँखों से ज़ार-ज़ार। नहीं पता दिल तेरी यादों से धड़कता है, कर न पाऊँ इस हक़ीक़त से इंकार।। इबादत... Poetry Writing Challenge · कविता 1 255 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read बादल शीर्षक- बादल गहरा नीला आसमाँ उसपर रुई से बादल जैसे सागर को अपने आगोश में ले रहे हैं पर नहीं पता कि न मिटने वाली मीलों की दूरियाँ है उनके... Poetry Writing Challenge · कविता 1 103 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read शीर्षक -ये बरसात शीर्षक -ये बरसात है अँधेरी काली रात, मन पर भारी ये बरसात। भीगे लफ्ज़ भीगी बात, अश्क़ में डूबी ये सौगात।। सिहर-सिहर से जाता क्यों है, बावला सा मन जाने... Poetry Writing Challenge · कविता 1 100 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read एक शाम शीर्षक-एक शाम जरा सा रो दिए थे बैठ कर शाम खिड़की के पास दिनभर के ख़्वाब को ढलते हुए चाय के प्याले को लेकर भूल गए बस कुछ भूला याद... Poetry Writing Challenge · कविता 1 106 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read समय का बहाव शीर्षक-समय का बहाव मुमकिन होता गर तो पलट देते समय के बहाव को ज़िंदगी के रंग में फिर से भर लेते अनगिनत रंग जो कालचक्र में कहीं उतरे हुए हैं... Poetry Writing Challenge · कविता 1 113 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read हुनर आ गया - शीर्षक- हुनर आ गया बदलते हैं लोग यहाँ फ़िज़ाओं के जैसे, हमें भी बदलने का हुनर आ गया। जमाने के साथ चलने लगे हम भी , ज़माने के साथ... Poetry Writing Challenge · कविता 1 99 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read अनकहा रिश्ता शीर्षक -अनकहा रिश्ता ये कैसा अनकहा रिश्ता है, जो तेरे मेरे बीच है। स्नेहिल बन्धन है, जो हमारे क़रीब है। मुझे भावों के अल्फाज़ नहीं मिलते, जैसे सुरों के साज़... Poetry Writing Challenge · कविता 1 96 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read किसान शीर्षक - किसान खेत की मेड़ पर बैठ, ये सोच रहा, सबके पेट का हल, मेरे पास है, बस मेरा हल किसी के पास नहीं। जिस हल से, चीर कर... Poetry Writing Challenge · कविता 1 105 Share Shalini Mishra Tiwari 11 Jun 2023 · 1 min read उजियारा मौसम शीर्षक - उजियारा मौसम धुंध में लिपटा सारा मौसम, कोई उजली रेख नहीं। नहीं दिखे अपना ही साया, तृप्ति के कोई मेघ नहीं।। दिन में छुपा हुआ है दिनकर, प्रात-साँझ... Poetry Writing Challenge · कविता 1 112 Share Shalini Mishra Tiwari 10 Jun 2023 · 1 min read बोझ हो गई बोझ सी ज़िंदगी पर जाने क्यों नहीं पाती उतार बढ़ के रोक लेते हैं कदम मेरे वादे जो किए थे कभी ख़्यालों की तन्हाई में जब उमड़ा था... Poetry Writing Challenge · कविता 1 251 Share Shalini Mishra Tiwari 10 Jun 2023 · 1 min read रात की महफ़िल 3-शीर्षक - रात की महफ़िल फिर सज गई रात की महफ़िल फिर हो गया तन्हाई का जमावड़ा एक तन्हा शमा रही जलती एक चिराग आँसू रहा बहाता स्याह सी चादर... Poetry Writing Challenge · कविता 1 199 Share Shalini Mishra Tiwari 10 Jun 2023 · 1 min read प्रेम और सेमल फूल शीर्षक - प्रेम और सेमल फूल प्रेम और सेमल फूल दोनों एक जैसे दूर से देखो कितना माधुर्य कितना आकर्षण बियाबान में अपने सुर्ख़ रँग में सजा करता आकर्षित ऊँची... Poetry Writing Challenge · कविता 1 212 Share Shalini Mishra Tiwari 10 Jun 2023 · 1 min read बेबसी बेबसी का है ताना बाना बन्धन की पोशाक मुक्त पाँव कैसे धरूँ धरा पर, बढूं कैसे बेबाक है कुंठित मन और भाव बने हैं शूल अब है कंटक से असीम... Poetry Writing Challenge · कविता 1 163 Share