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गुनाहों की गौद मे पलता रहा इंसान
Maroof aalam
जहन मे सौ सौ बार आया था वो
Maroof aalam
उजाले लापता हैं और कोई गवाह नही है
Maroof aalam
जमीं को थामे रखता हूँ तो हाथों से सितारे जाते हैं
Maroof aalam
दबाव नही रक्खा
Maroof aalam
कश्तियों के समुंदर मे उतर जाने के बाद
Maroof aalam
मन मे फालतू के सवाल लिए फिरता है
Maroof aalam
चाहत की गर्मी मे जलते क्यों नही
Maroof aalam
तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक
Maroof aalam
आईनों पर दाग की सिफारिश ना कर
Maroof aalam
मरते बस इंसान हैं
Maroof aalam
हम से कहता है वो हम मार दिए जायेंगे
Maroof aalam
क्या बात हुई आपस मे,क्या राज छुपाए हैं तुमने
Maroof aalam
अपनी सदाकत के अरकान नही मरने दिए
Maroof aalam
बंजर करके छोडे़गा
Maroof aalam
तेरा ये रोना और रो रो कर फलक पे नजर करना
Maroof aalam
बहुत खलता है
Maroof aalam
तुमको ताब क्यों नही है क्यों बेताब हो तुम
Maroof aalam
इंसानों के खूंखार चेहरों से डरते हैं अब
Maroof aalam
रूह कब्ज करो हथेली पर जान को उतारो
Maroof aalam
याद नही रखता
Maroof aalam
ये बताओ चांद तारों पे क्या लिक्खा जायेगा
Maroof aalam
हम आदिवासी जंगल को खूब समझते हैं
Maroof aalam
तालाब गहरे क्यों नही हैं
Maroof aalam
और बाकी हिरन तमाशा देखते हैं
Maroof aalam