manisha Poetry Writing Challenge 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid manisha 25 May 2023 · 1 min read दो बूँद दो बूंद जो बरस जाए ******** झुलस गई हरीतिमा , नष्ट हुई मानव चेतना तप रही ये धरा- गगन , निलाम्बरा अब तू हट छोड़ दे..... दो बूंद शीतल जल... Poetry Writing Challenge 5 1 189 Share manisha 25 May 2023 · 1 min read पतंग ...घणाक्षरी घनाक्षरी *********** आकाश में उड़ी जाए हवा के हिलोरे खाए आगे -आगे बढ़ी जाए पतंग दिवानी रे। संक्राति संदेशा लाए रितु बदलती जाए सतरंगी छटा छाए पतंग सुहानी रे। धरा... Poetry Writing Challenge 1 1 349 Share manisha 25 May 2023 · 1 min read प्रकृति वंदन प्रकृति वंदन ********** धन्य धरा ये पावन, हर घर प्रकृति वंदन, मधुर कलरव खग करते झूम उठता तरूवर का मन। रंग बिखेरें तितली सा, मन चंचल करता स्पंदन, जुगनू सी... Poetry Writing Challenge · कविता 3 1 162 Share manisha 17 May 2023 · 1 min read कुदरत कुदरत ******* कुदरत के सतरंगी रंगो ने रच डाला इस संसार को, इंद्रधनुषी रंगो ने निखारा जीवन जगत संसार को। नित नया रूप बदलता ओढ़ बादलो की श्वेत चादर, फूलों... Poetry Writing Challenge · संकलन...उर्वर मन 3 267 Share manisha 17 May 2023 · 1 min read अधीर मन अधीर मन ********** शांत धरा ,गंभीर गगन करता रह-रह अधीर ये मन, खामोशी में लिपटी झीलें कर जाती रह -रह बेचैन, दूर क्षितिज पर जाकर मिलते, धरा - गगन सा... Poetry Writing Challenge · संकलन...उर्वर मन 3 1 342 Share manisha 17 May 2023 · 1 min read पीताम्बरी आभा पीताम्बरी आभा ************** बादलों के रथ पे होकर सवार, पीताम्बरी आभा का विस्तार, मानों गगन के पट पर किसी ने, उड़ेल डाली रंगो की बहार । पवन चक्कीयाँ लोरी सुनाती... Poetry Writing Challenge · संकलन...उर्वर मन 342 Share manisha 17 May 2023 · 1 min read संदेशा संदेशा ******** दिनकर ने फैलाई आभा, किरणें देखो जगमगाई। स्वर्णिम चादर ओढ़ीं नदियाँ, जीवन संदेशा ले आई। धूप करे उर्जा संचार , इससे मिलता धरा को प्राण। पशु- पादप सब... Poetry Writing Challenge · संकलन...उर्वर मन 427 Share manisha 17 May 2023 · 1 min read अंकुर अंकुर ******* बीज तत्व से जीवन भरा, प्रस्फुटित हो नव अंकुर बना। सूर्य किरणों से प्रफुल्लित होकर, उपवन की शोभा बना। नित नवीन निखार आए, मंद पवन हिलोरे झुलाए। धूप... Poetry Writing Challenge · संकलन...उर्वर मन 308 Share manisha 17 May 2023 · 1 min read क्षितिज उदिप्त हो रहा हो भास्कर , या अस्ताचल गामी है। खोल रहा किरणों के पंख, या डूबने की तैयारी है। मनहर विहंगम दृश्य नभ का, देख हृदय कंवल खिल आया... Poetry Writing Challenge · संकलन...उर्वर मन 1 246 Share