Dr. Ramesh Kumar Nirmesh Poetry Writing Challenge 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 2 min read पतग की परिणीति आकाश के आंचल में पवन की ले बलैया उड़ती हुई पतंग बस एक पतंग नही है जीवन का एक व्यापक दर्शन और संदेश है। वह निर्द्वन्द उड़ती प्रतीत होती है... Poetry Writing Challenge 262 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read मां, तेरी कृपा का आकांक्षी। हे हंसवाहिनी ! ज्ञान दायिनी ! अज्ञानता हरो तुम मेरी, जीवन – ज्योति जला हिय में तम दूर करो तुम तो मेरी। आज तूलिका शिथिल हुई है इसको आलस ही... Poetry Writing Challenge 274 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read अंजुली स्नेह सिंचित अंजुली आकांक्षायें है सिमटी हुई, निष्काम भाव से चल पड़ा जहाँ भाग्य ने सोचा वहीं। साक्षी अतिरेक कर्म का संघर्षमय जीवन मेरा, सतत सोचता हूँ भाग्य ने मेरे... Poetry Writing Challenge 63 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read बस इतनी सी चाह बस इतनी सी चाह भगवन धरा स्वर्ग फिर बन जाये त्याग भेद भाव सब जन पुनः एक दूसरे के हो जाय। कितने धर्म व कितने पंथ मानव का घुट रहा... Poetry Writing Challenge 83 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read उधार की जिंदगी मन है कहीं और ही बसता तन उदास है मधुवन में , जीवन अब उधार सा लगता कान्हा अब तेरे उपवन में । बेशक राधा के हुए नहीं मीरा भी... Poetry Writing Challenge 82 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read स्वप्न व यथार्थ निकट से यह जीवन यथार्थ ही लक्षित है, परे यह बस स्वप्न ही सर्वदा परिलक्षित है। भ्रम जैसे क्षितिज के ऊपर आकाश का है, आकाश के ऊपर भी बस एक... Poetry Writing Challenge 72 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read मृत्यु प्रेयसी बनी हमारी लम्हा लम्हा शाम ढल रही रफ्ता रफ्ता सांस घट रही सरक रहा जीवन ये रेत सा मोह हमारी भंग हो रही। बढ़ती रही उमर हमारी जन्मदिवस हम रहे मनाते, पैर... Poetry Writing Challenge 86 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read चश्मे का फ्रेम हर बार तुम अपने चश्मे का फ्रेम बदल देते हो और स्वयं को युवा महसूस होने का अनचाहा भ्रम पाल लेते हो। पर सच्चाई यह कि अब उम्र तुम पर... Poetry Writing Challenge 195 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read बुढ़ापे का बोझ ताउम्र खुशगवार मौसम व रंगीले संसार का लुत्फ लिया जीवन को जी भर के तबियत से जिया पर बेशक आज तलक जीवन से मोहभंग नही हुआ। जाग्रत विवेक के सहारे... Poetry Writing Challenge 283 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read वर्ण व्यवस्था अतीत की वर्ण व्यवस्था था कर्म प्रधान होता रहा, फिर भी इस सत्य को आज कोई स्वीकारता कहाँ। मांस - भक्षी भूदेव आज सर्वत्र है विचरण कर रहे, तिलक लगाए... Poetry Writing Challenge 290 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read विलाप विकास के एक-एक आयाम चढ़ते गये नेपथ्य से विनाश की आवाज अनवरत अनसुनी करते रहे। अंतिम पायदान पर जैसे ही कदम रखा हे भगवान ! यह क्या और कैसा संसार... Poetry Writing Challenge 200 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read होली एक रूपक होली एक रूपक हिरण्यकश्यप शंका का प्रतीक है प्रह्लाद श्रद्धा का पर्याय है जब तलक आप संदेह के वश श्रद्धा के अंकुर को पहाड़ो से गिरा पत्थर से दबाओगे पानी... Poetry Writing Challenge 247 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read उम्मीद का दामन थामे आस्थाएं व मान्यताएं निरन्तर तिरोहित हो रही थी, जबकि उन्हें परिष्कृत कर उत्तम बनाने की सोच थी। उम्मीद का दामन थामे सदियां गुजरती रही, पर बात थी कि बस वहीं... Poetry Writing Challenge 154 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read जानकी का परित्याग वस्तुतः जानकी का परित्याग है एक काल्पनिक कथा जिसे न वाल्मीकि न ही तुलसी ने है कहा। यह क्षेपक है मात्र किदवंतियां है इसका स्रोत इसे कभी भी मानस या... Poetry Writing Challenge 159 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read जिंदगी एक पहेली जिंदगी एक पहेली कल भी थी, आज भी है और शायद कल भी रहेगी, जितना इसे सुलझाने की कोशिश होगी यह और भी उलझेगी, परेशान करेगी और शायद यह पहेली... Poetry Writing Challenge 251 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read हँसते जख्म निज कल्पनाशक्ति का सृजनात्मक उपयोग किया, इस असार जीवन को जीने का अभिनव परयास किया। ज्यों- ज्यों जीवन आगे बढ़ा सपनों को लगा पंख मिलने, आहिस्ता मद का हुआ प्रवेश... Poetry Writing Challenge 239 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read भविष्य भविष्य से अंजान फिर भी उसे सँवारते है, उसकी चिंता में अपना वर्तमान भी गवांते है। अतीत से ले सीख वर्तमान आज उद्दीप्त है, भविष्य के लिये भी एक दीपक... Poetry Writing Challenge 161 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read हैसियत इतना विशाल ब्रह्मांड अनेकों आकाशगंगाए सरसों भर पृथ्वी पर रत्तीभर मुल्क अब सोचिये, रत्ती भर पर हमारी हैसियत क्या है ? फिर भी हमें गुमान है। छल ,दम्भ ,द्वेष ,... Poetry Writing Challenge 166 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read माटी की मूरत अपनी सीरत से ही सदा याद किया जाता है कोई सूरत से नही यह तो बस मिट्टी की मूरत धूसरित होता ही है सही । इसे जितना सजाने संवारने में... Poetry Writing Challenge 176 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read अधूरा सफर चले साथ थे मंजिल को एक तेरे ही भरोसे पर, मिला नही पर तेरा सहारा दिया छोड़ बीच राह पर। सफर दिवस का बिता जब निपट निशा तब आयी थी,... Poetry Writing Challenge 219 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read साईं तेरी याद बाजार से खरीदी गयी मूर्ति यदि धन देती है, लोग कहते है कि फिर वह बेची क्यों जाती है ? तुम्हे किसी ने देखा नही पर जन्म से तुम्हे सुना... Poetry Writing Challenge 142 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read पत्थर की बाँसुरी लोग कहते है कि पत्थरदिल कभी रोते नही कभी पहाड़ों से गिरते झरनों को तुमने कभी देखा क्यो नहीं ? वृक्षों के बारे में एक आम राय है ये कि... Poetry Writing Challenge 189 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read देवों के देव महादेव मुक्ति का धाम यह काशी यहाँ हर कोई तेरा पुजारी, पर आज उल्टी हवा चली ममता पर मौत है भारी। मौत की ले कामना कई मंगल मौत पर मनाते है,... Poetry Writing Challenge 211 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read सोलह आने सच सोलह आने सच आज यह बात भी सिद्ध हो गयी, एक बार प्रकृति पुनः पुरुष पर भारी हो गयी। प्रकृति पर विजय के दावे खोखले सिद्ध हो रहे, उसकी मार... Poetry Writing Challenge 1 227 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read शबरी के बेर शबरी के बेर प्रतीक है एक भाव का श्रीराम के समरसता समभाव का। प्रतीक है एक व्यक्ति का अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ता का एकटक अड़े रहना एक प्रतिभा का।... Poetry Writing Challenge 84 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jun 2023 · 1 min read गवाही वक्त ने अपनी छाती पर अनेक दंश झेले एक से बढ़ कर एक अनहोनियों को देखे। फिर भी अनवरत अपने सफर पर अबाध चलता रहा पर पता नही क्यो आजकल... Poetry Writing Challenge 83 Share