Sushma Singh “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 60 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Sushma Singh 19 Apr 2022 · 1 min read हिमालय हैं पिता हिमालय हैं पिता ------------------- अटल हिमालय सा होकर, अपनी बात से जो न डिगते, करते हम बच्चों के मन की! हम सबको खुश करते, ढेर सारे खिलौने देकर ---- हम... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 1 1 80 Share Sushma Singh 19 Apr 2022 · 1 min read बहादुर पापा बहादुर पापा ---–---------- परेशानियाें में भी जो मुस्काए, कभी किसी का जो दिल न दुखाए सबके दुख को समझें वो! ऐसे हैं!मेरे बहादुर पापा---- सब कष्टों को जो पी जाए,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 1 1 128 Share Sushma Singh 19 Apr 2022 · 1 min read पिता से हैं खुशियां पिता से हैं खुशियां ---------------------- बचपन में जब में रोती थी, मुझको खुश करते पापा थे जिद करती पापा से में जब, वही मुझे समझाते थे। मेरे जीवन में खुशियां,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 1 1 100 Share Sushma Singh 19 Apr 2022 · 1 min read मेरे प्यारे पापा मेरे प्यारे पापा ----------------- हृदय में जो है मेरे रहते, पल-पल मुझको याद है आते, वो हे!मेरे प्यारे पापा--- मेरी शरारतों और शैतानियों पर! जो बहुत है खुश होते, वो... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 1 1 90 Share Sushma Singh 18 Apr 2022 · 1 min read अंबर होते पिता अंबर होते पिता ------------------ अंबर से ऊंचा होता,पिता का साथ, मां धरा है होती---- किस्मत वाले होतें हैं वो जिसके सिर है पिता का हाथ। परेशानी सारी कट जाती, हंसते-हंसते... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 2 4 119 Share Sushma Singh 18 Apr 2022 · 1 min read पापा मेरे दोस्त पापा मेरे दोस्त --------------- उंगली पकड़ के तूने , चलना सिखाया था गिर जाने पर तुमने ही उठना सिखाया था। जब भी कहीं ठोकर, खाई है मेंने-- तुमने ही मुझको... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 2 3 135 Share Sushma Singh 18 Apr 2022 · 1 min read बचपन की यादें बचपन की यादें ----------------- याद है मुझको ,जब में छोटा था, बनकर घोड़ा मुझको अपनी, पीठ में बिठाया था, छुप-छुप कर खेले , क ई खेल तुमने थे- जब में... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 2 2 110 Share Sushma Singh 18 Apr 2022 · 1 min read रूठने पर मनाना मुझको रूठने पर मनाना मुझको ---------------------------- में रूठ जाती अगर, तो मुझको मनाते थे। मेरे पापा तुम सदा , मुझको पुकारते थे। सीने से लगाकर मुझको, मेरे बालों को सहलाते थे,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 2 3 102 Share Sushma Singh 18 Apr 2022 · 1 min read पिता के पदचिन्ह पिता के पदचिन्ह ------------------- में सोचती हूं मैं भी चलूं, उस पथ पर जिसको पापा ने रोशन किया, बन जांऊ उन कदमों के निशां! जो एक पहचान बन अमर हो... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 2 3 135 Share Sushma Singh 18 Apr 2022 · 1 min read पिता मेरी प्रेरणा पिता मेरी प्रेरणा --------------------- बचपन से देखा था मैनें, उनको नियम से चलना करते थे मेहनत बहुत, हम बच्चों के लिए! आसमां जमीं एक करते थे, हम सबके लिए? देते... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 2 3 104 Share Previous Page 2